नई दिल्ली. 2 जुलाई को हाथरस में मची भगदड़ और 123 लोगों की जान जाने के बाद हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर ये हादसा कैसे हुआ. इस पूरे मामले की जांच एसआईटी कर रही है जिसका नेतृत्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज बृजेश कुमार श्रीवास्तव कर रहे हैं. उनके अलावा रिटायर्ड आईएएस […]
नई दिल्ली. 2 जुलाई को हाथरस में मची भगदड़ और 123 लोगों की जान जाने के बाद हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर ये हादसा कैसे हुआ. इस पूरे मामले की जांच एसआईटी कर रही है जिसका नेतृत्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज बृजेश कुमार श्रीवास्तव कर रहे हैं. उनके अलावा रिटायर्ड आईएएस अफसर हेमंत राव और भावेश कुमार भी शामिल हैं.
पहले खबर आई थी कि एसआईटी ने बाबा को क्लिन चिट दे दी है लेकिन ताजा जानकारी के मुताबिक सूरज पाल सिंह जाटव उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग में उस दिन 2 से 2.5 लाख लोग मौजूद थे. उस दिन उमस भरी गर्मी बहुत थी और लोग छटपटा रहे थे लिहाजा बाबा ने अपना प्रवचन शार्ट कर दिया और 1.30 बजे खत्म कर दिया.
सूत्रों के मुताबिक प्रवचन खत्म करने से पहले नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने एक बड़ी गलती कर दी. उन्होंने लोगों से अपील कर दी कि जो लोग चरण रज लेना चाहते हैं वो अब ले सकते हैं. बस क्या था जो भीड़ बैठी हुई थी वो खड़ी हो गई और बाबा की तरफ भागने लगी. इसी दौरान बाबा अपने काफिले के साथ वहां से रफू चक्कर हो गये. बाबा के पैरों की धूल लेने के लिए भीड़ गाड़ी के पीछे दौड़ी और जैसे ही धूल लेने के लिए झुकी पीछे दौड़ते हुए आ रहे लोग एक के ऊपर एक गिरने लगे.
तीन सदस्यीय एसआईटी सत्संग में मौजूद उन चश्मदीदों के पास पहुंच रही है जिनका किसी राजनीतिक दल से कोई लेना देना नहीं है और बिना किसी के प्रभाव में आये सही बात बताने को तैयार हैं. जानकारी के मुताबिक एसआईटी ने अभी तक 30 से अधिक लोगों से बात की है और लगभग एक ही बात सभी ने बताई है कि चरण की धूल लेने के लिए ही भगदड़ मची थी और घटना के समय बाबा मौके पर मौजूद थे. जब स्थिति बिगड़ने लगी तो वह अपना काफिला लेकर भाग खड़े हुए.
दूसरा कारण यह निकलकर सामने आया है कि बाबा के सेवादारों और पुलिस प्रशासन की तरफ से भीड़ को मैनेज करने के लिए कोई खास इंतजाम नही किया गया था. जिस समय भगदड़ मची उस समय न तो सेवादार कुछ कर पाये और न ही पुलिस. उल्टे सेवादारों ने भीड़ को धकेलना शुरू कर दिया. उसी समय बाबा वहां से जाने लगे लिहाजा उनके काफिले को रास्ता देने के लिए सेवादार लोगों को पीछे धकेलने लगे. लोग हड़बड़ा कर भागे और यह हादसा हो गया.
भोले बाबा ने यदि चरण रज लेने की अपील नहीं करते तो यह घटना नहीं घटती. बाबा ने दूसरी गलती यह कर दी कि जब भगदड़ मची तो स्थिति संभालने की कोशिश नहीं की और खुद भी भाग खड़े हुए. यदि माइक लेकर उन्होंन सबको बैठ जाने की अपील कर दी होती तो इतनी बड़ी घटना नहीं घटती.
भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने मामले को नया मोड़ देते हुए यह दावा कर दिया कि कुछ शरारती तत्वों ने जहरीला स्प्रे छिड़का जिसकी वजह से भगदड़ मची. उनके इस दावे को पुख्ता करने के लिए अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है. पूरे प्रकरण में बाबा का एक वीडियो सामने आया है और उसी दौरान वकील का दावा भी.
चूंकि भोले बाबा के यहां सियासतदान सजदा करते हैं इसलिए उनको बचाने के भी आरोप लग रहे हैं. दो महीने के अंदर कमेटी को रिपोर्ट देनी है. देखना यह कि 123 मौतों के लिए जिम्मेदार बाबा अपने गुप्त ठिकाने से कब तक बाहर निकला है और कानून के लंबे हाथ उसकी गर्दन तक कब पहुंचते हैं?