Hashimpura Case Verdict: उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित हाशिमपुरा गांव में साल 1987 में भीषण नरसंहार मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा कि सोची-समझी साजिश के तहत लोगों को निशाना बनाया गया था.
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित हाशिमपुरा गांव में साल 1987 में हुए नरसंहार मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए 42 मुस्लिमों की हत्या के मामले में प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (पीएसी) के 16 जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने कहा कि तय सोची-समझी साजिश थी, जिसके तहत बेगुनाह लोगों का कत्लेआम किया. मार्च 2015 में निचली अदालत ने इन सभी को बरी कर दिया था. निचली अदालत ने कहा था, ”यह कहीं से साबित नहीं होता कि पीएसी जवान आरोपी थे.”
रिटायर हो चुके आरोपियों को कत्ल, किडनैपिंग, आपराधिक साजिश और सबूत मिटाने के आरोप में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया गया. इस मामले में 19 आरोपी थे, लेकिन तीन की केस के दौरान मौत हो गई. हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला 6 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और जुल्फिकार नासिर जैसे प्रावइेट पार्टीज की अर्जी पर सुनवाई कर रहा था.
साल 1987 में पीड़ितों की हत्या मेरठ में एक दंगे के दौरान हुई थी. पीएसी की 41 बटालियन ने पीड़ितों को हाशिमपुरा के पड़ोस से तलाशी अभियान के दौरान उठा लिया था. मामले में चार्जशीट चीफ जूडिशल मजिस्ट्रेट गाजियाबाद के सामने 1996 में दाखिल किया गया था. इस घटना में मारे गए लोगों के परिवारों ने याचिका दायर की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सितंबर 2002 में दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था.