डबवाली. हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही राजनीतिक हलचल काफी तेज हो गई है. टिकट दावेदारों की लाइन लगी है लेकिन चौटाला परिवार में अलग ही कहानी चल रही है जहां भाई-भाई से दो दो हाथ करने को तैयार है. दूसरी तरफ पोता दादा के खिलाफ ताल ठोक रहा है तो चाचा भतीजे […]
डबवाली. हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही राजनीतिक हलचल काफी तेज हो गई है. टिकट दावेदारों की लाइन लगी है लेकिन चौटाला परिवार में अलग ही कहानी चल रही है जहां भाई-भाई से दो दो हाथ करने को तैयार है. दूसरी तरफ पोता दादा के खिलाफ ताल ठोक रहा है तो चाचा भतीजे की सीट पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाने में जुटा है. हिसार लोकसभा चुनाव में चाचा के सामने उतरी दो बहुओं नैना और सुनैना चौटाला के बाद विधानसभा चुनाव में चाचा भतीजा, दादा-पोता और भाई से भाई को लड़ाने की तैयारी चल रही है.
हरियाणा की राजनीति कभी तीन लालों ताऊ देवीलाल, बंशीलाल और भजनलाल के इर्द गिर्द घूमती थी. इनमें सबसे सीनियर ताऊ देवी लाल थे जो हरियाणा के दो बार सीएम और देश के डिप्टी पीएम रहे. जबकि बंशीलाल और भजनलाल हरियाणा के तीन-तीन बार सीएम रहे. यूं तो तीनों लालों का परिवार बिखर चुका है लेकिन इन दिनों सबसे ज्यादा ताऊ देवीलाल के घर में रार चल रही है.
देवीलाल के बड़े बेटे ओपी चौटाला के दोनों बेटों अजय चौटाला और अभय चौटाला के बीच सियासी विरासत की लड़ाई काफी दिनों से चल रही है. रानियां से निर्दलीय विधायक बने और अब बीजेपी के नेता चाचा रणजीत सिंह चौटाला भी काफी एक्टिव हैं. उनका भी अच्छा खासा राजनीतिक करियर है. भाजपा ने उन्हें हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ाया था जहां पर उनके सामने कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश के साथ दो बहुएं नैना और सुनैना चौटाला ने घेर लिया था. दोनों बहुओं की जमानत जब्त हो गई थी लेकिन उन्होंने ससुर जी को निपटा दिया था. रणजीत चौटाला 63 हजार से चुनाव हार गये थे.
रणजीत सिंह चौटाला एक बार फिर रानियां से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और हलोपा नेता गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा भी वहीं से टिकट मांग रहे हैं. हलोपा का भाजपा से गठबंधन है जबकि रणजीत चौटाला अब भाजपाई बन चुके हैं. दोनों की दावेदारी से मामला गरमाया तो रणजीत चौटाला ने बागी रुख अख्तियार कर लिया और चेतावनी दे दी कि वह रानियां से हरहाल में चुनाव लड़ेंगे, चाहें निर्दलीय क्यों न लड़ना पड़े. उधर इनेलो नेता अभय चौटाला अपने बेटे अर्जुन चौटाला को वहां से लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं. खुद अर्जुन चौटाला ने एक इंटरव्यू में कहा है कि यह धर्मयुद्ध है और दादा से लड़ने की नौबत आई तो वह पीछे नहीं हटेंगे.
2021 के अंत में डबवाली में हुए उपचुनाव में इनेलो नेता अभय चौटाला बुरी तरह घिर गये थे और साढ़े छह हजार वोटों से ही जीत पाये थे. उन्होंने भाजपा-जेजेपी के उम्मीदवार गोविंद कांडा को हराया था लेकिन उनके गढ़ में भाजपा ने जिस तरह से घेरा था उसके बाद वह डरे हुए हैं. चर्चा है कि वह जिंद की उचाना कलां से भी चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसा हुआ तो उनकी भिड़ंत भतीजे दुष्यंत चौटाला से होगी. फिलहाल दुष्यंत चौटाला वहीं से विधायक हैं और एक बार फिर अपनी पुरानी सीट पर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
सिरसा जिले की रानियां विधानसभा से सटी दूसरी सीट डबवाली है जिसमें चौधरी देवीलाल का गांव चौटाला पड़ता है. फिलहाल यहां से कांग्रेस के विधायक अमित सिहाग हैं. वह भी चौटाला गांव के ही रहने वाले हैं. इस सीट से चौधरी देवीलाल के सबसे छोटे बेटे स्वर्गीय जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला यहां से एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. पिछला चुनाव भी यहीं से लड़े थे लेकिन हार गये थे. वह भाजपा में हैं और और काफी एक्टिव रहते हैं.
वह एक बार फिर से भाजपा उम्मीदवार के रूप में यहां से चुनाव लड़ेंगे और उधर से दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला की भी यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा है. इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले चुनाव में अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत और दिग्विजय ने जेजेपी को 10 सीटें दिलाने में कामयाबी हासिल की थी लेकिन लोकसभा चुनाव में दुर्गति के बाद साफ दिख रहा है कि चौधरी देवीलाल परिवार की सियासी जमीन खिसक चुकी है और रही सही कसर चौटाला परिवार आपस में लड़कर पूरी कर रहा है.
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