नई दिल्ली. हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी हलचल तेज हो गई है. भाजपा और कांग्रेस में टिकटों के बंटवारे को लेकर लगातार बैठकें चल रही है. कांग्रेस की जीत की संभावना के मद्देनजर भाजपा के मुकाबले उसके यहां टिकटार्थियों की संख्या ज्यादा है. एक दो दिन में टिकटों का ऐलान हो जाएगा लेकिन कांग्रेस […]
नई दिल्ली. हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी हलचल तेज हो गई है. भाजपा और कांग्रेस में टिकटों के बंटवारे को लेकर लगातार बैठकें चल रही है. कांग्रेस की जीत की संभावना के मद्देनजर भाजपा के मुकाबले उसके यहां टिकटार्थियों की संख्या ज्यादा है.
एक दो दिन में टिकटों का ऐलान हो जाएगा लेकिन कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि वह एक लड़ाई अपने सियासी विरोधियों से लड़ रही है और दूसरी लड़ाई घर के अंदर. सीएम पद के लिए अभी से लड़ाई शुरू हो गई है जिसमें पहला राउंड भूपेंद्र हुड्डा जीत गये हैं.
पार्टी के अंदर सीएम पद के तीन दावेदार हैं भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला. चूंकि भाजपा ने जाटों को दरकिनार कर गैर जाट को दस साल तक सीएम बनाये रखा इसलिए कांग्रेस जाट नेता को आगे कर चुनाव लड़ना चाहती है. इस रस्सकशी में पार्टी नेतृत्व भूपेंद्र हुड्डा की तरफ दिख रहा है.
कांग्रेस प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने साफ कहा है कि कोई सांसद चुनाव नहीं लड़ेगा. विशेष परिस्थिति में हाईकमान से अनुमति लेकर ही लड़ पाएगा. माना जा रहा है कि उन्होंने यह बयान भूपेंद्र हुड्डा का पलड़ा भारी रखने के लिए दिया है. कुमारी शैलजा सिरसा से लोकसभा सांसद हैं जबकि रणदीप सुरजेवाला राज्यसभा सांसद हैं. शैलजा विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुकी हैं इसके बावजूद प्रदेश प्रभारी ने यह बयान दिया. इसका मतलब है कि कुमारी शैलजा और सुरजेवाला पहला राउंड हार चुके हैं.
कांग्रेस की रणनीति यह है कि चुनाव से पहले सीएम चेहरा घोषित न किया जाए क्योंकि इससे पार्टी में गुटबाजी बढ़ेगी और वह जीती हुई बाजी हार सकती है. साथ में वह पहले से ही तैयारी भी रखना चाहती है कि परिणाम आने के बाद कोई दिक्कत न हो. इसी वजह से पार्टी के प्रदेश प्रभारी से बयान दिलाया गया कि किसी सांसद को विधानसभा का टिकट नहीं दिया जाएगा.
भाजपा किसी तरह जाट वोटों का बंटवारा चाहती है, किसान आंदोलन के बाद जाट समुदाय के बारे में आम राय यही है कि वह भाजपा से नाराज है. सूबे में लगभग एक तिहाई जाट हैं लिहाजा भाजपा की रणनीति यह है कि बेशक उसे जाट वोट न मिले या कम मिले लेकिन उसका बंटवारा हो जाए तो भी उसे इसका फायदा मिलेगा.
मौके की नजाकत को देखकर भाजपा ने कांग्रेस को चुनौती दे डाली कि वह दलित चेहरा कुमारी शैलजा को सीएम घोषित करे. इसका जवाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने यह दिया कि एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा ने क्यों नहीं सीएम चेहरा घोषित किया था?
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