हल्द्वानी। उत्तराखंड के हल्द्वानी जमीन अतिक्रमण मामले में आज देश की सबसे बड़ी अदालत ‘सुप्रीम कोर्ट’ में सुनवाई हुई। मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर रहे हैं। अब वहां पर और अधिक कब्जा नहीं होना चाहिए। फिलहाल हम नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश […]
हल्द्वानी। उत्तराखंड के हल्द्वानी जमीन अतिक्रमण मामले में आज देश की सबसे बड़ी अदालत ‘सुप्रीम कोर्ट’ में सुनवाई हुई। मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर रहे हैं। अब वहां पर और अधिक कब्जा नहीं होना चाहिए। फिलहाल हम नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा रहे हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि अब एक महीने बाद अगली सुनवाई होगी। बता दें कि हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने पर अब रोक लगा दी गई है। 7 फरवरी को अब अगली सुनवाई होगी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि दूसरे पक्ष का दावा है कि वे बरसों से यहां रह रहे हैं। यह ठीक है कि उस जगह को विकसित किया जाना है, लेकिन उन लोगों का पुनर्वास भी होना चाहिए।
नैनीताल हाईकोर्ट ने पिछले साल 20 दिसंबर को रेलवे को आदेश में कहा था कि वे एक हफ्ते का समय देने के बाद जमीन को खाली कराने के लिए किसी भी हद तक बल का उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने वहां बसे लोगों पर रेलवे की जमीन को गलत तरीके से कब्जा जमाए रखने की बात भी कही थी।
बता दें कि हल्द्वानी की जिस जमीन को लेकर ये विवाद हो रहा है, उस पर करीब चार हजार परिवार बसे हुए हैं। रेलवे का कहना है कि उनके पास पुराने नक्शे और रिवेन्यू रिकॉर्ड हैं, जो जमीन पर उनका दावा साबित करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि वो यहां पर पीढ़ियों से रह रहे हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के हल्द्वानी का यह विवादित इलाका करीब 2.2 किलोमीटर में फैला हआ है। इस इलाके में गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर बसे हुए हैं। ये तीनों इलाके हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र का हिस्सा हैं। यहां पर तीन सरकारी स्कूल, 11 प्राइवेट स्कूल, 10 मस्जिद, 12 मदरसे, एक पब्लिक हेल्थ सेंटर और एक मंदिर मौजूद है।
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