Halal Certificate Case: हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट पर क्यों लगाया बैन? सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक लगाने तथा हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्थाओं पर FIR दर्ज किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। चेन्नई के हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने यूपी सरकार और FSSAI के फैसले […]

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Halal Certificate Case: हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट पर क्यों लगाया बैन? सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

Arpit Shukla

  • January 5, 2024 1:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक लगाने तथा हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्थाओं पर FIR दर्ज किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। चेन्नई के हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने यूपी सरकार और FSSAI के फैसले को गलत बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस फैसले का पूरे देश पर प्रभाव पड़ेगा, इसलिए सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी चाहिए।

यूपी सरकार ने किया था बैन

उत्तर प्रदेश में नवंबर 2023 में हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। सरकार की तरफ से इस संबंध में जारी आदेश में कहा गया था कि राज्य में अब हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण तथा बिक्री को तत्काल प्रभाव से बैन कर दिया गया है।

क्या होता है हलाल?

हलाल को लेकर अक्सर विवाद होते रहे हैं। दरअसल जिस जानवर को जिबह करके मारा जाता है, उसके मांस को हलाल कहते है। जिबह करने का अर्थ ये होता है कि जानवर के गले को पूरी तरह काटने की बजाय उसको रेत दिया जाता है, जिसके बाद उसके शरीर का लगभग सारा खून बाहर आ जाता है।

हलाल सर्टिफिकेशन

बता दें कि हलाल सर्टिफिकेशन इस्लाम के अनुसार दिया जाता है। हलाल सर्टिफिकेशन को ऐसे समझा जा सकता है कि ऐसे प्रोडकट्स जिन्हें मुस्लिम समुदाय के लोग इस्तेमाल कर सकते हैं। मुस्लिम लोग हलाल प्रोडक्ट्स का ही उपयोग करते हैं। हलाल सर्टिफाइड होने का अर्थ है कि मुस्लिम समुदाय के लोग ऐसे प्रोडक्ट्स को बिना किसी संकोच के खा सकते हैं।

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