नई दिल्लीः श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सर्वे रिपोर्ट बुधवार को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का ढ़ाचा मिला है। इस पर हिंदू पक्ष में खुशी का माहौल है। उनका कहना है कि […]
नई दिल्लीः श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सर्वे रिपोर्ट बुधवार को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का ढ़ाचा मिला है। इस पर हिंदू पक्ष में खुशी का माहौल है। उनका कहना है कि बाबा भोले नाथ मिल गए हैं। सर्वे रिपोर्ट से सब कुछ स्पष्ट हो गया। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता चल गया है। अब हिंदुओं को पूजा-पाठ करने की अनुमति मिलनी चाहिए। दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने का ऐलान कर दिया है।
कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया है। इसकी मांग अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से की गई थी। दूसरी तरफ मसाजिद कमेटी की सर्वे रिपोर्ट ई-मेल पर जारी कराने की मांग भी खारिज कर दी गई। दरअसल, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 23 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का करने का फैसला सुनाया था। फैसले के आधार पर एएसआई की टीम ने सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे किया, फिर सीलबंद रिपोर्ट अदालत में पेश किया।
ज्ञानवापी से संबंधित मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई 14 जुलाई को पूरी हो गई थी। इसके बाद पत्रावली को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया गया था। बता दें कि जिला जज की अदालत ने 23 जुलाई को आदेश सुनाया। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी में अदालत ने रडार तकनीक के द्वारा एएसआई से सर्वे कराने का आवेदन मंजूर किया था। साथ ही, एएसआई के निदेशक को सर्वे कराने के लिए आदेश दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि किसी तरह की क्षति पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए।
ज्ञानवापी मामले में कोर्ट ने एएसआई के निदेशक को चार अगस्त तक सर्वे के संबंध में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट, उच्चतम न्यायालय गया। जिसके बाद दोबारा चार अगस्त 2023 से सर्वे का काम शुरु हुआ, जो दो नवंबर तक पूरा हो सका। 18 दिसंबर 2023 को सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई थी। इसके बाद से ही हिंदू पक्ष रिपोर्ट पब्लिक करने की मांग कर रहा था। हिंदू पक्षकारों का कहना था कि सर्वे में हिंदू पक्ष की दलीलों को माना गया है। आज इस सर्वे रिपोर्ट के कुछ अंश सामने आए हैं जिन्होंने एक बार अयोध्या फैसले की याद ताजा कर दी है। सर्वे में इस बात का दावा किया गया है कि मस्जिद के पहले यहां मंदिर था और उसकी संरचना के सबूत पाए गए हैं।
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