ज्ञानवापी केस : ASI सर्वे पर हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू, मुस्लिम पक्ष ने कही ये बात

लखनऊ: ज्ञानवापी परिसर के ASI से सर्वे को मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने कल मंगलवार (25 जुलाई) को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में अंजुमन के वकील एसएफए नकवी ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर कई सवाल उठे थे और कहा कि निचली कोर्ट के वाद में ASI न तो […]

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ज्ञानवापी केस : ASI सर्वे पर हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू, मुस्लिम पक्ष ने कही ये बात

Noreen Ahmed

  • July 26, 2023 9:22 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

लखनऊ: ज्ञानवापी परिसर के ASI से सर्वे को मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने कल मंगलवार (25 जुलाई) को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में अंजुमन के वकील एसएफए नकवी ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर कई सवाल उठे थे और कहा कि निचली कोर्ट के वाद में ASI न तो पक्षकार है, न ही परिसर सर्वेक्षण का अदालती आदेश कानूनी तौर पर तामील हुआ है। अफरातफरी में ASI ने सर्वेक्षण शुरू कर दिया, जो ज्ञानवापी परिसर को नुकसान पहुंचाने की पूर्वनियोजित प्रक्रिया है।

 

वाराणसी जिला जज के सर्वेक्षण के 21 जुलाई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के अगले दिन कल मंगलवार को मुस्लिम पक्ष ने इसे इलाहाबाद उच्च न्यायलय में चुनौती दी है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की कोर्ट में शीघ्र सुनवाई की अपील की है, जिस पर शाम साढ़े 4 बजे से सुनवाई शुरू हुई है। बता दें एक घंटे चली इस सुनवाई में चीफ जस्टिस ने दोनों पक्षकारों से विवादित मामले के इतिहास की जानकारी ली है। वहीं विधिवत सुनवाई आज बुधवार (26 जुलाई) सुबह साढ़े 9 बजे से होगी। वहीं हिंदू पक्ष ने एक तरफ के आदेश से बचने के लिए पहले ही कैविएट दाखिल कर दिया था।

कोर्ट का आदेश असामयिक

नकवी का कहना है कि हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग बता रहा है, वह असल में फव्वारा है। ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का जिला जज का आदेश असामयिक है, क्योंकि अब तक लंबित केस में अदालत ने वाद बिंदु तय नहीं किए हैं। साथ ही नकवी ने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश का अनुचित लाभ उठाने का प्रयास किया जा रहा है। मुस्लिम पक्ष को कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने तक का मौका नहीं दिया गया है।

विशेषज्ञ की सलाह कभी भी ले सकते हैं

हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन का कहना है कि ASI को अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि केस में भी पक्षकार नहीं बनाया था। इस वाद के किसी भी स्तर पर विशेषज्ञ की सलाह ली जा सकती है।

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