लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे पर लगी रोक आज गुरुवार (27 जुलाई) शाम तक बढ़ा दी है। वहीं सर्वेक्षण के विरोध में दाखिल याचिका पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद का कहना है कि देश ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को भी झेला है। साथ ही कहा कि जल्दबाजी में वैज्ञानिक सर्वे से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान होगा। लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। एएसआई का कहना है कि सर्वे का 5 प्रतिशत काम हो चुका है, अदालत की अनुमति मिली तो 31 जुलाई तक इसे पूरा कर लेंगे।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की कोर्ट में कल बुधवार की सुबह साढ़े 9 बजे मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। वहीं अंजुमन के वकील एसएफए नकवी ने बहस शुरू होते ही कहा कि ज्ञानवापी परिसर में बिना किसी तोड़-फोड़ के सर्वेक्षण नामुमकिन है। वहीं अदालत के बुलावे पर हाजिर हुए एएसआई के अधिकारी ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इससे रत्ती भर भी नुकसान नहीं होगा।
वहीं एएसआई ने दावा किया कि ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की अत्याधुनिक तकनीक से किसी भी प्रकार के नुकसान का अनुमान नहीं है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन का कहना है कि हमारा मकसद ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचाना बिल्कुल नहीं है। हम ज्ञानवापी के मूल ढांचे के नीचे छुपी सच्चाई सामने लाना चाहते हैं। परिसर के सर्वे से ही ज्ञानवापी की सच्चाई का पता चल सकती है। तकरीबन साढ़े 4 घंटे तक दावे-प्रतिदावे के बीच अदालत ने एएसआई के सर्वे पर लगी सुप्रीम रोक बरकरार रखते हुए सुनवाई गुरुवार की दोपहर साढ़े 3 बजे नियत कर दी।
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