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ज्ञानवापी मामला: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज वाराणसी के जिला जज कोर्ट में होगी मामले की सुनवाई

वाराणसी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज से वाराणसी जिला जज कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले इस मामले में सिविल जज की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी लेकिन इस मामले में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की आपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज कोर्ट में इस मामले […]

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ज्ञानवापी मामला: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज वाराणसी के जिला जज कोर्ट में होगी मामले की सुनवाई
  • May 23, 2022 9:19 am Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

वाराणसी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज से वाराणसी जिला जज कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले इस मामले में सिविल जज की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी लेकिन इस मामले में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की आपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज कोर्ट में इस मामले को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था । सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा था कि जहां पर शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है उस जगह में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं होगी।

जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को मामले से जुड़ी सभी रिपोर्ट ,फाइल ,सबूत जिला जज की अदालत को सौंप दिए गए है, जिसके बाद आज इस मामले की सुनवाई होनी है। दरअसल ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट के आदेश पर दो चरणों में 5 दिन तक कोर्ट कमिशन का सर्वे हुआ था और रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी गई है। इस मामले में मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और मुकदमे को खारिज करने का अनुरोध किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जिला जज से कराने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि जिस जगह पर हिंदू शिवलिंग होने का दावा कर रहा है उसे संरक्षित किया जाए और मुस्लिम को नमाज से रोका ना जाए।

ये था सुप्रीम कोर्ट का आदेश

शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले को सिविल जज सीनियर डिविजन वाराणसी से जिला जज वाराणसी को ट्रांसफर किया जाए और मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर की जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि 17 मई का हमारा अंतरिम आदेश फैसला सुनाए जाने तक और उसके बाद 8 सप्ताह तक लागू रहेगा ताकि पीड़ित पक्ष जिला जज के आदेश को चुनौती दे सके।

 

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