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Guru Purnima 2023: किस शुभ मुहूर्त में की जा सकती है गुरु पूर्णिमा पूजा, जानें इस दिन का महत्व

नई दिल्ली: गुरु पूर्णिमा की शुभ तिथि की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. वहीं हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा तिथि आती है. आषाढ़ के मास में पड़ रही पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा कहा जाता हैं और साथ ही ये गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाती है. इस […]

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Guru Purnima 2023: किस शुभ मुहूर्त में की जा सकती है गुरु पूर्णिमा पूजा, जानें इस दिन का महत्व
  • July 3, 2023 8:55 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: गुरु पूर्णिमा की शुभ तिथि की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. वहीं हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा तिथि आती है. आषाढ़ के मास में पड़ रही पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा कहा जाता हैं और साथ ही ये गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाती है. इस शुभ दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. गुरु पूर्णिमा के दिन आमतौर पर पूजा अर्चना और स्नान-दान किया जाता है, लेकिन गुरु पूर्णिमा होने के कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है. वहीं गुरु पूर्णिमा के विशेष दिन विद्यार्थी अपने गुरु की सेवा करते हैं और उनका आदर सत्कार के साथ धन्यवाद देते हैं.

गुरु पूर्णिमा की शुभ तिथि

पंचांग के मुताबिक आषाढ़ माह की पूर्णिमा के शुभ दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है. बताया जा रहा है कि आषाढ़ पूर्णिमा की शुभ तिथि कल 2 जुलाई की रात 8 बजकर 21 मिनट से शुरू हो चुकी है और इस तिथि का अंत अगले दिन यानी आज 3 जुलाई शाम 5 बजकर 8 मिनट पर होगा.

गुरु पूर्णिमा के पावन दिन गुरु के आदर-सत्कार के साथ ही पूर्णिमा की पूजा अर्चना भी की जाती है. इसके अलावा पूर्णिमा के शुभ दिन सुबह उठकर स्नान किया जाता है. इस दिन कई भक्त पवित्र नदियों में स्नान करने भी जाते हैं. जो लोग नदी तक स्नान करने नहीं जा सकते वो अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी नहा सकते हैं. विधि के अनुसार स्नान पश्चात भगवान विष्णु और वेदों के रचयिता वेद व्यास का ध्यान किया जाता है. वहीं सूर्य देव को अर्घ्य देना भी गुरु पूर्णिमा के दिन बहुत ही शुभ माना गया है.

पूजा अर्चना की सामग्री

गुरु पूर्णिमा के पावन दिन पर भगवान विष्णु और वेद व्यास जी की पूजा अर्चना की जाती है. इतना ही नहीं फल, फूल, दीप, धूप, अक्षत, दूर्वा और हल्दी आदि पूजा सामग्री में सम्मिलित किए जाते हैं. इस दिन माता सरस्वती की श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना की जाती है.

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