मोरबी पुल हादसा: मोरबी। गुजरात के मोरबी में रविवार शाम को बड़ा हादसा हुआ। 143 साल पुराना पुल टूटने से करीब 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए। इस हादसे में 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई, वहीं कई लोग भी अभी लापता बताए जा रहे हैं। पूरी रात चले राहत-बचाव अभियान में […]
मोरबी। गुजरात के मोरबी में रविवार शाम को बड़ा हादसा हुआ। 143 साल पुराना पुल टूटने से करीब 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए। इस हादसे में 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई, वहीं कई लोग भी अभी लापता बताए जा रहे हैं। पूरी रात चले राहत-बचाव अभियान में 177 लोगों को बचा लिया गया है। गुजरात के गृहमंत्री हर्ष सांघवी घटनास्थल पर डटे हुए हैं।
बता दें कि बीती रात से ही सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं। मच्छू नदी में पानी को कम करने के लिए चेक डैम को तोड़ा जा रहा है। मृतकों के शवों को मोरबी सिविल अस्पताल पहुंचा दिया गया है, वहीं घायलों के इलाज के लिए अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड बनाया गया है।
मोरबी पुल पिछले 6 महीने से बंद था। हाल ही 2 करोड़ रूपये की लागत से इसकी मरम्मत की गई था, उसके बाद 25 अक्टूबर को इसे आम जनता के लिए खोला गया। पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने इसी साल मार्च महीने में मोरबी नगर पालिका से 15 साल के लिए एक समझौता किया था।
ओरेवा ग्रुप के पास मोरबी पुल की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने और स्टाफ प्रबंधन की जिम्मेदारी है। हादसे के बाद कंपनी के ऊपर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया। इसके साथ ही एक कमेटी बनाई गई है, जो हादसे की जल्द से जल्द जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी। बताया जा रहा है कि जांच कमेटी रात 2 बजे ही घटना स्थल पर पहुंच गई हैं।
गौरतलब है कि मोरबी का यह ऐतिहासिक केबल पुल 143 साल पुराना है। इसकी लंबाई 765 फीट है। इस पुल का उद्धाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई (पहले बंबई) के गर्वनर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। उस समय इसकी लागत 3.5 लाख रूपये आई थी। बताया जाता है कि पुल बनाने का सारा सामान इंग्लैंड से मंगाया गया था। दिवाली से पहले इस पुल की 2 करोड़ रूपये में मरम्मत की गई थी।
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