नई दिल्ली: मानहानि मामले में गुजरात हाई कोर्ट का फैसला भी राहुल गांधी के खिलाफ आया है जहां शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता की याचिका खारिज कर दी है. अब एक सवाल ये भी है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के पास कौन से विकल्प बचते हैं? अब […]
नई दिल्ली: मानहानि मामले में गुजरात हाई कोर्ट का फैसला भी राहुल गांधी के खिलाफ आया है जहां शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता की याचिका खारिज कर दी है. अब एक सवाल ये भी है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के पास कौन से विकल्प बचते हैं?
अब गुजरात हाई कोर्ट से भी राहुल गांधी को राहत ना मिलने पर उनके पास क्या विकल्प बचते हैं ये भी बड़ा सवाल है. अब राहुल हाईकोर्ट में डिविजन बेंच में अपील कर सकते हैं. इसके अलावा अगर वह चाहें तो सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकते हैं जिसका ज़िक्र उच्च न्यायलय अपने फैसले में कर चुका है. यदि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में राहुल की सजा पर रोक लगा देती है तो उन्हें संसदीय सदस्यता फिर मिल जाएगी.
Gujarat High Court says that the Trial Court conviction order is proper, there is no need to interfere with the said order. Therefore, the application is dismissed.
The Court further noted that at least 10 criminal cases are pending against Rahul Gandhi.
— ANI (@ANI) July 7, 2023
सूरत सेशन कोर्ट के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अब गुजरात हाई कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है. जहां कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया गया है जिसमें मोदी सरनेम मामले में सूरत की निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. बता दें, ये मामला चार साल पुराना है जब साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक रैली के मोदी सरनेम को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी. सूरत की निचली अदालत ने इस मामले में राहुल गांधी को इसी साल 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी.
गुजरात हाई कोर्ट की बेंच ने राहुल गांधी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट का दोषी ठहराने का आदेश उचित है, उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है. कोर्ट ने आगे कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं.
इस दौरान गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे या संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अपनी स्थिति के निलंबन को रद्द करने की मांग नहीं कर पाएंगे। वह हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।