नरोडा. नरोडा विधानसभा सीट अहमदाबाद जिले में आती है और इस सीट को भी भाजपा का गढ़ कहा जाता है, ये सीट साल 1990 से लगातार भाजपा के कब्जे में है. डॉ पायल कुकराणी यहां से भाजपा की उम्मीदवार हैं, वहीं कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की वजह से यह सीट एनसीपी के खाते में हैं और आप […]
नरोडा. नरोडा विधानसभा सीट अहमदाबाद जिले में आती है और इस सीट को भी भाजपा का गढ़ कहा जाता है, ये सीट साल 1990 से लगातार भाजपा के कब्जे में है. डॉ पायल कुकराणी यहां से भाजपा की उम्मीदवार हैं, वहीं कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की वजह से यह सीट एनसीपी के खाते में हैं और आप ने नरोडा सीट ओम प्रकाश तिवारी को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने यहाँ से मेघराज डोडवानी को टिकट दिया था.
गुजरात विधानसभा चुनाव में नरोदा दंगे में शामिल मनोज कुकरानी की बेटी और भाजपा उम्मीदवार पायल कुकरानी ने नरोदा सीट पर भारी वोटों के साथ जीत हासिल की है. खास बात ये है कि यहां कांग्रेस तीसरे नंबर पर आ गई, जबकि दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के ओम प्रकाश तिवारी और तीसरे नंबर पर कांग्रेस के मेघराज डोडवाणी आए हैं.
नरोदा में सिंधी मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा है, यहां 62000 सिंधी मतदाता हैं जबकि, ओबीसी मतदाताओं की संख्या लगभग 48000 है. दलित समुदाय के 20000 मतदाता हैं. वहीं, क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाताों की संख्या लगभग 10000-10000 है, बता दें इस सीट पर सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार करते समय इस जातीय समीकरण को ध्यान में रखा और इसी हिसाब से अपने उम्मदीवार भी उतारे. यहां पर भाजपा हमेशा से सिंधी उम्मीदवार को चुनाव में टिकट देती रही है, वहीं दूसरी ओर दंगा पीड़ित आज भी उस घटना को याद कर के सिहर जाते हैं. इस संबंध में दंगा पीड़ित सलीम शेख कहते हैं कि उन्होंने मनोज कुकरानी के खिलाफ कोर्ट में जाकर गवाही भी दी थी और अब उनकी ही बेटी को यहाँ से टिकट दिया गया है. वह बताते हैं कि दंगों के दौरान उनके परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई थी.
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