बोताद सीट पर पार्टी के सबसे अमीर उम्मीदवार सौरभ पटेल ने जीत हासिल कर ली है. मतगणना की शुरुआत में कांग्रेस के उम्मीदवार डीएम पटेल उनसे 4000 से ज्यादा वोटों से आगे थे लेकिन अंत में बाजी सौरभ पटेल ने ही मारी. सौरभ पटेल की कुल संपत्ति 123.78 करोड़ रुपये है
अहमदाबाद. गुजरात विधानसभा चुनावों में बोताद सीट पर पार्टी के सबसे अमीर उम्मीदवार सौरभ पटेल ने जीत हासिल कर ली है. मतगणना की शुरुआत में कांग्रेस के उम्मीदवार डीएम पटेल उनसे 4000 से ज्यादा वोटों से आगे थे लेकिन अंत में बाजी सौरभ पटेल ने ही मारी और कड़ी टक्कर में वह 906 वोट से जीत गए. सौरभ पटेल की कुल संपत्ति 123.78 करोड़ रुपये है. वह अंबानी परिवार के रिश्तेदार हैं. वह धीरुभाई अंबानी के बड़े भाई रमनीकभाई अंबानी के दामाद हैं. सौरभ पहली बार 1998 में जब यहां से चुनाव लड़े थे, तो उनके ऊपर बाहरी होने का आरोप लगा था बाहरी होने का मुद्दा था. लेकिन जीत मिली तो उसके बाद काम करते रहे. मोदी की सरकार में वित्त मंत्री रहे, लेकिन विजय रूपानी की सरकार में मंत्री पद नहीं मिला. इस चीज को पार्टी का फैसला मानकर स्वीकार करने वाले सौरभ पटेल शुरू से ही इस चुनाव को जीतने के लिए आश्वस्त थे. हालांकि पिछली बार आनंदीबेन के करीबी होने के कारण विजय रुपाणी ने उन्हें अपने कैबिनेट में शामिल नहीं किया था.
इस बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री शंकर चौधरी को वाव सीट से हार का सामना करना पड़ा. शंकर चौधरी को कांग्रेस की जेनीबेन नागाजी ठाकोर ने करीबी मुकाबले में 5500 से ज्यादा वोट से शिकस्त दी. वाव विधानसभा सीट से जेनीबेन को 99905 वोट मिले जबकि शंकर चौधरी को 93057 वोट मिले. एक जमाने में ये सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. पिछले दो बार से बीजेपी यहां जीत रही है. 2007 में बीजेपी के प्रभात पटेल ने ये सीट निकाली थी. फिर 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शंकरभाई चौधरी को टिकट दिया. वो कामयाब भी रहे. फिर जब सरकार बनी तो उन्हें मंत्री पद भी मिला. वो गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री हैं थासरा सीट से बीजेपी उम्मीदवार और अमूल इंडिया के चेयरमैन रामसिंह परमार को हार का सामना करना पड़ा है. रामसिंह परमार को कांग्रेस के कांतिभाई परमार ने 7300 से ज्यादा वोटों हराया. कांतिभाई को 83914 वोट मिले जबकि रामसिंह परमार को केवल 76516 वोट ही मिल पाए. आपको बता दें कि रामसिंह कांग्रेस से 6 बार विधायक रहे हैं लेकिन इस बार उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी का हाथ थाम लिया था.
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