गुजरात चुनाव रिजल्ट 2017: पाटीदारों पर क्यों नहीं चला हार्दिक पटेल का जादू ?

पाटीदार समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पाटीदारों को साधने की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष जीतू बाघवा को दी थी.

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गुजरात चुनाव रिजल्ट 2017: पाटीदारों पर क्यों नहीं चला हार्दिक पटेल का जादू ?

Aanchal Pandey

  • December 18, 2017 12:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

गांधीनगर. गुजरात में एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है. गुजरात में जातीय समीकरण साधने की कांग्रेस की कोशिशों पर मोदी लहर हावी रही. पाटीदार अनामत आंदोलन से पाटीदारों का चेहरा बनकर उभरे हार्दिक पटेल का जादू नहीं चल पाया. गुजरात में करीब 20 प्रतिशत पटेल वोटर हैं इसके बावजूद हार्दिक पटेल कांग्रेस के पक्ष में जनमत हासिल करने में नाकाम रहे. इसके लिए माना जा रहा है कि चुनावों से पहले आईं हार्दिक पटेल की सेक्स सीडियों के कारण जनता ने हार्दिक पटेल से दूरी बनाई. राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि सेक्स सीडी पर सफाई देने के बजाय हार्दिक पटेल सिर्फ बीजेपी पर निशाना साधने में लगे थे.

वहीं दूसरी तरफ यह भी माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल के कांग्रेस के साथ आने को लेकर उनके संगठन (पास) में दरार आ गई थी. कई लोगों ने चुनावों से पहले ही हार्दिक का साथ छोड़ दिया था. चुनावों से पहले ही हार्दिक पटेल की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात को लेकर हार्दिक पटेल के कई साथी नाराज हो गए थे. उन्होंने हार्दिक पटेल को राजनीतिक महत्वकांक्षा का लालची बताकर पास से दूरी बना ली थी. हार्दिक के साथ जो लोग आंदोलन में थे वे एक एक कर भाजपा के पक्ष में जा रहे थे. साथ ही वे हार्दिक की राजनीतिक मंशा के बारे में भी लोगों को बता रहे थे. ऐसे में हार्दिक पटेल उन्हें साधने के बजाय सिर्फ जनसभाएं करने में लगे रहे. इसके साथ ही कांग्रेस के साथ हार्दिक की मुलाकात और आरक्षण के मुद्दे पर चर्चाओं का दौर काफी लंबे समय तक चलता रहा. काग्रेस के साथ सहमति में देरी के कारण भी पाटीदार समुदाय में गलत संदेश गया.

मौजूदा सरकार में करीब 40 विधायक और 7 मंत्री पटेल समुदाय से हैं. पाटीदार समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पाटीदारों को साधने की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष जीतू बाघवा को दी थी. साथ ही वे लगातार पाटीदार समुदाय पर नजर बनाए हुए थे. 2014 में नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम से देश का पीएम बन जाने के बाद से माना जा रहा था कि पाटीदारों पर बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है. हार्दिक पटेल के नेतृत्व में शुरू हुए पटेल आंदोलन ने बीजेपी की पकड़ की चिंता बढ़ा दी थी लेकिन बीजेपी हाईकमान की दूरदर्शिता के कारण चुनावी नतीजों ने साबित कर दिया कि गुजरात चुनाव में हार्दिक पटेल कोई फैक्टर नहीं था. हार्दिक पटेल बीजेपी के खिलाफ लगातार माहौल बनाने के लिए हर संभव कोशिश में लगे थे।

बता दें कि गुजरात में 20 फीसदी पाटीदार है, जिसमें से 40 फीसदी कड़वा पटेल और 60 फीसदी लेउवा पटेल है. हार्दिक खुद कड़वा पटेल हैं, वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघाणी लेउवा पटेल हैं. वहीं आंकड़ों का बात करें तो पटेलों में युवाओं ने जहां हार्दिक का साथ दिया, वहीं बुजुर्ग पाटीदार बीजेपी के साथ थे. बता दें कि पाटीदारों को बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है.

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