गांधीनगर : गुजरात विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। 1 दिसंबर को 89 सीटों पर मतदान होंगे और 5 दिसंबर को 93 सीटों पर तमाम सियासी पार्टियां अपनी क़िस्मत आज़माएंगी। चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को जारी किए जाएंगे। गुजरात राज्य के 33 ज़िलों में कुल 182 विधान सभा सीटें हैं। इस विधानसभा चुनाव में […]
गांधीनगर : गुजरात विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। 1 दिसंबर को 89 सीटों पर मतदान होंगे और 5 दिसंबर को 93 सीटों पर तमाम सियासी पार्टियां अपनी क़िस्मत आज़माएंगी। चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को जारी किए जाएंगे। गुजरात राज्य के 33 ज़िलों में कुल 182 विधान सभा सीटें हैं। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा अगर बहुमत का जादुई आकड़ा यानी 92 हासिल करने में कामयाब होती है तो गुजरात राज्य में ये भाजपा की 7वीं जीत होगी।
पूर्व मुख्समंत्री विजय रुपाणी, पूर्व उप-मुख्यमंत्री नितिन पटल, वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र सिंह चूड़ासमा और प्रदीप सिंह जडेजा ने सभी को चौंकाते हुए चुनाव न लड़ने की घोषणा की है।आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी देवभूमी द्वारका की जाम खंभालिया सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस वक्त जाम खंभालिया सीट पर कांग्रेस पार्टी के विक्रम मदाम क़ाबिज़ हैं, 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कालू चावड़ा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था और इस चुनाव की सियासी बिसात पर मुलू बेरा भाजपा उम्मीदवार होंगे। इन हालातों को मद्देननज़र रखते हुए हम कह सकते हैं कि किस तरह से कांग्रेस को आम आदमी पार्टी आगामी चुनावों में भारी नुकसान पहुँचा सकती है।
पंजाब की शानदार जीत से आम आदमी पार्टी बड़ी ही उत्साहित नज़र आ रही है, मगर गुजरात की जनता का प्यार और आशीर्वाद प्रधानमंत्री पर बीते कई दशकों से बना हुआ है ऐसे में कोई आर सियासी पार्टी यहां कामयाब हो सकती है ये कह पाना मुश्किल है।
साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों की अगर बात की जाए तो आम आदमी पार्टी को कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं मिला था, पार्टी का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा और बड़ी ही सोची समझी राजनीतिक गणित के बाद केजरीवाल ने महज़ 29 सीटों पर ही चुनाव लड़ना बेहतर समझा। नतीजे आने के बाद गुजरात की जनता ने साफ़ कर दिया कि यहां पर केजरीवाल की पार्टी को फ़िलहाल जगह नहीं मिलेगी और उनके ज़्यादातर उम्मीदवारों की ज़मानत तक ज़ब्त हो गई, इसमें सबसे दिलचस्प वाकया ऊंझा सीट पर रमेशभाई पटेल का रहा जो इस चुनाव में 400 वोटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाए और आठवें स्थान पर रहे। केजरीवाल सरकार का मानना था कि पाटीदारों के आंदोलन और आक्रोश के बाद वो गुजरात की सियासत मे सेंध लगाने मे कामयाब हो जाऐंगे मगर उनका राजनीतिक आंकलन बेहद कमज़ोर साबित हुआ और उन्हें खाली हाथ दिल्ली वापस लौटना पड़ा।
अगर बात की जाए आगामी 2022 गुजरात विधानसभा चुनाव की तो इस बार हार्दिक पटेल भी भाजपा के साथ शामिल हो टुके हैं और साथ ही साथ हार्दिक ने स्पष्ट कर दिया है कि पाटीदारों का आक्रोश EWS आरक्षण मिलने से शांत हो चुका है और पाटीदार समाज पूरे दमखम के साथ भाजपा के साथ इस चुनाव में खड़ा है। इन्हीं सब बातों के मद्देनज़र केजरीवाल का गुजरात का ये सियासी सफ़र कतई आसान नहीं मालूम पड़ रहा।