प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में हार्दिक पटेल का कांग्रेस को समर्थन करना शायद पाटीदारों को रास नहीं आया है. गुजरात विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में जो अनुमान सामने आए हैं उससे साबित होता की गुजरात की अन्य जनता के साथ ही पाटीदारों ने भी BJP को ही चुनना बेहतर समझा है.
गुजरात विधानसभा चुनाव में पाटीदारों के युवा नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस के लिए तुरुप के इक्के के रूप में देखे जा रहे थे, मगर गुजरात चुनाव के एग्जिट पोल ने हार्दिक पटेल के नेतृत्व पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. गुजरात में पटेलों को ओबीसी दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर चलाए गए प्रचंड आंदोलन का नेतृत्व करने वाले हार्दिक पटेल ने खूब सुर्खियां बटोरीं और यही वजह है कि उन्होंने कांग्रेस को अपनी शर्तों पर झूकने को मजबूर कर दिया. हार्दिक के तेवर देखकर ऐसा लगने लगा मानो हार्दिक की ये क्रांति गुजरात में 22 सालों से सत्ता पर काबिज रही भाजपा को उखाड़ फेंकगी. लेकिन 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर जारी किए गए एग्जिट पोल के अनुमान कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. एग्जिट पोल के अनुसार पूरे गुजरात में न सिर्फ भाजपा को बहुमत मिलता दिख रहा है बल्कि बीजेपी के लिए पटेल समुदाय की ओर से वोटों के जो अचंभित करने वाले आंकड़े सामने आए हैं उससे लगने लगा है कि पटेलों ने शायद हार्दिक को कभी अपना नेता माना ही नहीं. गौरतलब है कि गुजरात में पटेल समुदाय कड़वा पटेल और लेउवा पटेल में विभाजित है. एग्जिट पोल का अनुमान है कि 45.10 फीसदी कड़वा पटेल और 47.35 फीसदी लेउवा पटेल ने भाजपा को ही अपना वोट दिया है. हालांकि, एक्जिट पोल हमेशा सही ही साबित नहीं होता है. इसलिए चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि हार्दिक को कोई राहत मिलती है या नहीं.
कांग्रेस ने गुजरात में भाजपा का मुकाबला करने के लिए पटेल आंदोलन का झंडा लेकर लंबे समय तक भाषणबाजी करते रहे हार्दिक के जरिए पटेल समुदाय को अपना हथियार बनाने की कोशिश की और आरक्षण दिलाने का लॉलीपॉप दिखाकर वह इसमें सफल भी हुई. हार्दिक ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हाथ मिलाकर गुजरात में उनके लिए चुनाव प्रचार का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया. लेकिन एग्जिट पोल की माने तो पटेल समुदाय को शायद हार्दिक का ये फैसला रास नहीं आया और उसने कांग्रेस की जगह भाजपा को ही चुना.
अगर एग्जिट पोल के ये आंकड़े सही साबित होते हैं यानि पाटीदारों का उनपर से भरोसा उठता दिखाई पड़ता है तो इसमें कहीं न कहीं हार्दिक की सेक्स सीडी भी इसका बड़ा कारण होगी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में न शामिल होने की बात कहने वाले हार्दिक इन दिनों इससे जुड़े सवालों पर खामोश नजर आ रहे हैं. इससे साफ है कि आरक्षण आंदोलन से कहीं न कहीं उनका निजी स्वार्थ जुड़ा था जिसे अब पटेल समुदाय भी धीर- धीरे समझने लगा है.