गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे धीरे-धीरे साफ होते जा रहे हैं. दोनों ही राज्यों में बीजेपी जीत की ओर आगे बढ़ रही है. कांग्रेस के निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर एक बार फिर बीजेपी के लिए वरदान साबित हुए हैं. कांग्रेस की हार भी इसलिए हुई क्योंकि मोदी ने कांग्रेस की 'मणि' को ही इतना चमकाया कि कांग्रेस की आंखें चौंधिया गईं और वो लक्ष्य से भटक गई.
नई दिल्लीः गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर एक बार फिर ताज सजा लेकिन इस बार इस ताज में चमक कांग्रेस के ‘मणि’ की है. कांग्रेस की हार भी इसलिए हुई क्योंकि मोदी ने कांग्रेस की ‘मणि’ को ही इतना चमकाया कि कांग्रेस की आंखें चौंधिया गईं और वो लक्ष्य से भटक गई.
मुंहफट मणिशंकर अय्यर का कारनामा
गुजरात में चुनाव प्रचार की शुरुआत में कांग्रेस बहुत आगे थी. हार्दिक, जिग्नेश, अल्पेश की तिकड़ी बीजेपी के वोट समीकरण को ध्वस्त करने में जुटी थी और राहुल गांधी लगातार मोदी के गुजरात मॉडल पर सवाल उठा रहे थे. बीजेपी के पास इनमें से किसी का जवाब नहीं था. मोदी गुजरात में भावनाओं की लहर पैदा करने के लिए ज़ोर लगा रहे थे, जिसमें बड़ा योगदान किया कांग्रेस के मुंहफट नेता मणिशंकर अय्यर ने. पहले दौर की वोटिंग से ठीक पहले मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘नीच’ बताकर कांग्रेस का बेड़ा गर्क कर दिया.
‘नीच’ से ऊंचा हुआ मोदी का ग्राफ
मोदी और बीजेपी के सभी नेताओं ने बिना देरी किए मणिशंकर अय्यर के बयान को लपका. मोदी ने साफ-साफ कहा कि गुजरात के वोटर उनके इस अपमान का बदला लेंगे. उन्होंने मणिशंकर अय्यर के बयान का हवाला देकर ही गुजरात के वोटरों को पुरानी बातें याद दिलानी शुरू कर दीं. मोदी ने चुन-चुन कर गिनाया कि कांग्रेस के नेता उन्हें चायवाला, मौत का सौदागर, नीच, पागल और जाने क्या-क्या बोलते रहते हैं.
‘गुजरात के बेटे’ का अपमान
मोदी ने बड़ी उस्तादी से अपने अपमान को ‘गुजरात के बेटे’ का अपमान बना दिया. मोदी पहले ही गुजरात चुनाव को अपने सम्मान का मुद्दा बना चुके थे. उनका काम मणिशंकर के बयान ने बहुत आसान बना दिया. जो वोटर बीजेपी से नाराज़ थे, वो भी मोदी का मान बचाने के लिए बूथ तक पहुंचे. इस चुनाव में बीजेपी के सामने चिंता एक ही थी कि कहीं पाटीदार, पिछड़े और दलित वोटों के बूते कांग्रेस वोटों का फासला ना पाट दे. मोदी की लाज बचाने के लिए जरूरी था कि बीजेपी अपना पिछला वोट शेयर कायम रखे. ऐसा ही हुआ. कांग्रेस का वोट तो बढ़ा लेकिन बीजेपी का वोट कम नहीं हुआ और मोदी के सिर एक बार फिर गुजरात विजय का ताज सज गया.