मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने ये कहकर राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है कि गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाए, तो यहां (महाराष्ट्र) कोई पैसा नहीं बचेगा। विपक्षी पार्टियां राज्यपाल के बयान पर असहमति जताते हुए उन्हें हटाने की मांग कर रही है। इसी बीच आइए आपको बताते है कि कैसे 62 साल पहले गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्य एक थे।
महाराष्ट्र और गुजरात साल 1960 तक दो अलग राज्य नहीं थे बल्कि बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे। बॉम्बे प्रेसीडेंसी में रहने वाले ज्यादातर लोग मराठी और गुजराती भाषा बोलते थे। जब भाषा के आधार पर अलग राज्य की मांग हुई तो राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सरकार ने बॉम्बे प्रेसीडेंसी को दो हिस्सों में बांट दिया। जिसमें एक राज्य महाराष्ट्र और दूसरा राज्य गुजरात बना।
बता दें कि महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस भी एक ही दिन मनाया जाता है। दोनों राज्यों का स्थापना दिवस 1 मई को होता है। बॉम्बे प्रेसीडेंसी को दो हिस्सों में बांटकर महाराष्ट्र और गुजरात दो नए राज्य बनने को अब 62 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र से खासकर मुंबई और ठाणे से गुजरातियों और राजस्थानियों को निकाल दिया जाए तो वहां पैसा नहीं बचेगा और मुंबई को जो देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है तो वो आर्थिक राजधानी भी नहीं कहलाएगी।
शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने राज्यपाल कोश्यारी के बयान को लेकर कहा कि मराठी भिखारी हैं क्या? राउत ने कहा राज्यपाल का बयान मराठी मेहनतकश लोगों का अपमान है। इसी महाराष्ट्र ने हिंदुत्व के लिए लड़ाई लड़ी है। इसीलिए आज न केवल शिवसेना, बल्कि हर कोई राज्यपाल के बयान की निंदा कर रहा है।
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