योगी सरकार को बीआर अम्बेडकर का मिडिल नेम 'रामजी' करने का सुझाव राज्यपाल राम नाईक ने ही दिया था. उनका कहना है कि सभी लोग अब तक ‘बी’ को भीम और ‘आर’ को राव समझते है, जबकि ‘आर’ का मतलब राम है, जोकि बाबा साहेब अंबेडकर के पिता का नाम था.
नई दिल्ली. भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकास यशवंत अंबेडकर ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के उस फैसले पर सवाल उठाया है जिसमें बाबा साहेब के नाम में ‘रामजी’ शब्द को जोड़ा गया था. उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने अयोध्या में रान मंदिर के निर्माण को बल देने के लिए बाबा साहेब के नाम में रामजी जोड़ा है. रामजी बाबा के पिताजी का नाम था. ऐसे में उनके नाम के बीच ये शब्द जोड़कर भाजपा सरकार उसे जरूर राम मंदिर से जोड़ना चाहती है. उन्होंने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के बातचीत में कहा कि भाजपा 6 दिसंबर 1992 में अयोध्या के बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के बाद से ही राम मंदिर के मुद्दे को केंद्र में नहीं ला पाई है.
राज्य के गवर्नर राम नाइक ने अंबेडकर के सही नाम को लेकर 6 दिसंबर 2017 को प्रकाश को लिखे एक खत में कहा कि ‘आपको ज्ञात हो कि डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम को उत्तर भारत में अंग्रेजी में डा. बी आर अम्बेडकर लिखा जाता है. लोग ‘बी’ को भीम और ‘आर’ को राव समझते है, जबकि ‘आर’ का मतलब राम है, जोकि उनके पिता का नाम था. गौरतलब है कि योगी सरकार को बीआर अम्बेडकर का मिडिल नेम ‘रामजी’ करने का सुझाव राम नाईक ने ही दिया था.
उन्होंने कहा था कि सभी सरकारी दफ्तरों में बाबा साहब की तस्वीर लगाई जाये जिसके नीचे उनका पूरा नाम डा. भीमराव रामजी आंबेडकर लिखा जाए. राम नाइक ने लिखे गए अपने खत में लोकसभा सचिवालय द्वारा हिंदी में प्रकाशित संविधान के 3 पन्नों की कॉपी भी भेजी थी. जिसमे बाबा साहेब अंबेडकर की हस्ताक्षर में भीमराव रामजी अंबेडकर लिखा था.
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