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सार्वजनिक क्षेत्र के इन दो बैंकों के निजीकरण की सरकार कर रही है तैयारी

नई दिल्ली। सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है और आने वाले महीनों में उचित कदम उठाएगी. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. जानकारी के मुताबिक सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इस पर आगे बढ़ […]

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  • May 26, 2022 1:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली। सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है और आने वाले महीनों में उचित कदम उठाएगी. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. जानकारी के मुताबिक सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इस पर आगे बढ़ रही है. वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में, सरकार ने वर्ष के दौरान दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी दी थी.

इन बैंकों का हो सकता है निजीकरण

सरकारी थिंक-टैंक नीति आयोग ने निजीकरण के लिए विनिवेश पर सचिवों के कोर ग्रुप को पहले ही दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का सुझाव दिया है. जानकारी के मुताबिक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण हो सकता है. प्रक्रिया के अनुसार, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का कोर ग्रुप, इसकी मंजूरी के लिए वैकल्पिक तंत्र (एएम) को अपनी सिफारिश भेजेगा और अंत में अंतिम मंजूरी के लिए प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट को भेजेगा.

इसके अलावा यह भी कहा कि बीपीसीएल का विनिवेश भी होना है, जिसके लिए नई बोलियां आमंत्रित की जाएंगी. बताया जा रहा है कि सरकार को बिक्री रद्द करनी पड़ी क्योंकि केवल एक बोलीदाता बचा था. सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी और मार्च 2020 में बोलीदाताओं से रुचि के पत्र मांगे गए थे. नवंबर 2020 तक कम से कम तीन बोलियां प्राप्त हुई थीं, लेकिन बाद में केवल एक बोलीदाता ही रह गया.

कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) की रणनीतिक बिक्री पर, कहा जा रहा है कि कुछ मुद्दे हैं और उनके समाधान के बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी. नवंबर 2019 में कैबिनेट ने कॉनकोर में 30.8 प्रतिशत हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दी, जिसमें सरकारी इक्विटी का 54.80 प्रतिशत प्रबंधन नियंत्रण था. हालांकि, बिक्री के बाद सरकार बिना वीटो पावर के 24 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखेगी.

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