नई दिल्ली : दहेज पर नियंत्रण के लिए सरकारी स्तर पर कई कड़े कदम उठाये गये है. सरकारी सेवा और कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी को अब शादी पर दहेज स्वीकार करने की अनुमति नहीं है. बता दें कि उन्हें नियुक्ति प्राधिकारी को शादी का समय बताते हुए एक हलफनामा देना होगा और पुष्टि करनी होगी कि उन्होंने शादी के दौरान दहेज नहीं लिया है.
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जिले के सबसे बड़े सरकारी सेवा वर्ग से जुड़े शिक्षकों ने इस व्यवस्था का स्वागत करते हुए कहा कि वे दहेज नहीं लेंगे और विद्यार्थियों व अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेंगे, सरकारी अधिकारियों- कर्मचारियों को अपनी शादी में दहेज लेने से रोक लगाने के लिए शासन स्तर से पहल शुरू हो गई है. शासन उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 2004 का पालन सख्ती से कराने के लिए सक्रिय हो गया है. दरअसल महिला कल्याण विभाग की निदेशक संदीप कौर ने सभी विभागाध्यक्षों को दिशा निर्देश जारी किया है कि सरकारी सेवकों से इसका शपथ पत्र लिया जाए. इसके लिए निर्धारित फॉर्मेट में एक शपथ पत्र भरकर देना होगा, जिसमें स्पष्ट करना होगा कि उसने शादी के समय या बाद में दहेज नहीं लिया है.
बता दें कि जिले में सरकारी सेवा के सबसे बड़े वर्ग से जुड़े शिक्षकों ने इस निर्देश का स्वागत करते हुए कहा कि हमें दहेज नहीं, पढ़ी-लिखी लड़की को प्राथमिकता देनी चाहिए. उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सकलदेव सिंह ने कहा कि शासन के इस आदेश का पालन हर शिक्षक करेगा और विद्यार्थियों व अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा, शैक्षिक महासंघ के कार्यकारी जिलाध्यक्ष ज्योतिप्रकाश ने कहा कि समाज के लिए अभिशाप दहेज के कारण कई मासूम लड़कियों ने आत्महत्या कर ली.
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