सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने नेशनल हाईवे फीस नियमों में बदलाव करते हुए सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली: सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने नेशनल हाईवे फीस नियमों में बदलाव करते हुए सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को मंजूरी दे दी है। नए नियमों के तहत अब टोल कलेक्शन के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और ऑन बोर्ड यूनिट्स (OBU) का इस्तेमाल किया जाएगा। इस सिस्टम की खास बात यह है कि 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर कोई टोल नहीं लगेगा। हालांकि, फिलहाल फास्टैग का उपयोग भी जारी रहेगा।
सरकार ने नए नियमों को ऑफिशियल गजट में भी प्रकाशित कर दिया है। नोटिफिकेशन के अनुसार, GNSS वाली गाड़ियों के लिए टोल प्लाजा पर अलग से लेन बनाई जाएंगी ताकि उन्हें टोल चुकाने के लिए रुकना न पड़े। इन गाड़ियों से केवल उतना ही टोल लिया जाएगा, जितना दूरी तय की गई होगी। इससे टोल प्लाजा पर भीड़ कम होगी और सफर में समय भी बचेगा।
जो गाड़ियां भारत में रजिस्टर्ड नहीं हैं या जिनमें GNSS डिवाइस नहीं है, उनके लिए पुराने टोल कलेक्शन सिस्टम का ही इस्तेमाल होगा। वर्तमान में, हर टोल प्लाजा पर रुककर फास्टैग से पैसा कटवाना या फिर कैश देना पड़ता है, जिससे प्लाजा पर भीड़ लग जाती है। लेकिन नए जीपीएस सिस्टम से यात्रा की दूरी के आधार पर टोल अपने आप कट जाएगा। इस नए सिस्टम को लाने के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी काफी समय से प्रयासरत थे।
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