देश में HMP वायरस के 4 केस सामने आए हैं लिहाजा केंद्र सरकार ने सोमवार को एडवाइजरी जारी कर दी. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि यह वायरस कोई नया वायरस नहीं है, पहली बार इसकी पहचान 2001 में हुई थी। ये हवा के जरिए सांस लेने से फैलता है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं, WHO इस पर नजर बनाए हुए है।
नई दिल्ली: ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया है। लोग सोचने लगे हैं कि कहीं कोरोना जैसी स्थिति फिर से न उत्पन्न हो जाए। कोरोना महामारी से पूरी तरह उबरने के पहले ही HMPV वायरस चिंता का विषय बन गया है। भारत में इसके चार मामले सामने आए हैं, जिनमें से दो कर्नाटक में, एक अहमदाबाद (गुजरात) में और एक कोलकाता में पाया गया है।
केंद्र सरकार ने वक्त की नजाकत को भांपकर तुरंत कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, दिशानिर्देश दिए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने HMPV पर एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। मंत्रालय ने कहा है कि इसे लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह वायरस पहले से ही भारत में मौजूद था। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग पूरी स्थिति की निगरानी कर रहा है।
एडवाइजरी में अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सांस से संबंधित बीमारियों के सभी मामलों की रिपोर्ट समय-समय पर दर्ज करे। अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि सभी संदिग्ध मरीजों को अलग रखा जाए और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर इलाज दिया जाए। इसके अलावा, मरीजों की सुरक्षा और इलाज में किसी भी तरह की असुविधा से बचने के लिए सभी अस्पतालों को निजी अस्पतालों के साथ समन्वय स्थापित करने को कहा गया है। अस्पतालों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि हल्के लक्षणों वाले मरीजों के लिए आवश्यक दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति हो।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है: DGHS HQ हेल्पलाइन नंबर – 011-22307145 या 011-22300012। इसके अतिरिक्त, यदि किसी को कोई फीडबैक देना हो तो phw4delhi@yahoo.com पर संपर्क कर सकते हैं।
कोलकाता में HMPV के कारण प्रभावित एक बच्ची का इलाज किया गया। यह बच्ची 12 नवंबर को मुंबई से कोलकाता आई थी और उसे बुखार और सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। अस्पताल में भर्ती होने के बाद, उसे HMPV से संक्रमित पाया गया। इलाज के बाद बच्ची स्वस्थ हो गई और मुंबई लौट गई।
डॉक्टर सहेली दासगुप्ता ने कहा कि पिछले छह महीनों में यह वायरस कुछ बच्चों में देखा गया है। हालांकि, इस वायरस से डरने की कोई वजह नहीं है। अगर इलाज समय पर किया जाए तो मरीज 10 से 12 दिन में ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, उनमें इस वायरस के संक्रमित होने की संभावना कम होती है।
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