नई दिल्ली। उर्दू के मशहूर साहित्यकार गोपीचंद नारंग नहीं रहे। अमेरिका के उत्तरी कैरिलना में उन्होंने आखिरी सांस ली है। बताया जा रहा है कि गोपीचंद नारंग 91 साल के थे और पिछले काफी समय से उनकी तबियत ठीक नहीं थी। गोपीचंद को उर्दू साहित्य के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। नारंग के चाहने वाले उन्हे उर्दू अफसाना रवायत जैसी शानदार रचनाओं के लिए याद करेंगे।
बता दें कि उर्दू साहित्य के लिए देश और दुनियाभर में मशहूर गोपीचंद नारंग साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण भी दिया जा चुका है। नारंग ने उर्दू के अलावा कई और भाषाओं में भी अपनी किताबें लिखी हैं।
गोपीचंद नारंग की निधन की जानकारी उनके बेटे की तरफ से दी गई। उन्होंने 91 साल की उम्र में अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में आखिरी सां ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से गोपीचंद नारंग ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद वो प्रोफेसर भी रहे थे। उनके निधन की खबर मिलते ही सोशल मीडिया पर उनके चाहने वालों ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी। बता दें कि नारंग अपने चाहने वालों के दिलों में एक खास जगह रखते थे।
गोपीचंद नारंग का जन्म बलूचिस्तान में 1931 में हुआ था। उन्होंने करीब 57 किताबें लिखी। जिनमें हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा की किताबें भी शामिल हैं। जदीदियत, मसायल, इकबाल का फन, अमीर खुसरो का हिंदवी कलाम और उर्दू अफसाना रवायत जैसी शानदार रचनाओं के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
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