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Happy Teachers Day 2018: हैप्पी टीचर्स डे पर गूगल ने बनाया Teachers Day का डूडल

गूगल डूडल बनाकर हैप्पी टीचर्स डे 2018 को सेलिब्रेट कर रहा है. शिक्षक दिवस के मौके पर गूगल ने डूडल बनाया है जिसमें फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ, स्पोर्ट्स आदि सभी विषयों के इंस्ट्रूमेंट दिखाई देते हैं. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर 5 सितंबर को प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है.

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Google celebrates Teachers Day
  • September 5, 2018 4:33 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली: शिक्षक दिवस के मौके पर गूगल ने डूडल बनाया है. इस डूडल में गूगल ने G पर ग्लोब बनाया है. यह ग्लोब वीडियो का इंडिकेशन देता है. जैसे ही वीडियो पर क्लिक करेंगे इसमें चश्मा लगाए शिक्षक की छवि बनती है और फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ, म्यूजिक और स्पोर्ट्स के इंस्ट्रूमेंट्स आस पास बिखर जाते हैं. यह डूडल सभी विषयों को समेटे हुए है. भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर हर साल 5 सितंबर को मनाए जाने वाले हैप्पी टीचर्स डे पर लोग अपने गुरुजनों को गिफ्ट देते हैं और उनको नमन करते हैं.

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी गांव में हुआ था. भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक डॉ. राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से दुनिया को भारतीय दर्शन शास्त्र से अवगत कराया. टीचर्स डे मनाने की शुरूआत 1962 में हुई थी. यह दिन अपने गुरुओं के प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करने के लिए होता है.

1962 में 5 सितंबर को लोगों ने सर्वपल्ली के सम्मान में ‘राधाकृष्णन दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया था. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इससे इंकार कर दिया था. उन्होंने इसे अपने नाम के बजाय 5 सितंबर को ‘टीचर्स डे’ के तौर पर मनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद से हर साल इस दिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है. 17 अप्रैल 1975 को सर्वपल्ली का निधन हुआ जिसके बाद 1984 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

हैप्पी टीचर्स डे 2018 राधाकृष्णन ने 21 साल की उम्र में 1909 में मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में कनिष्ठ व्याख्याता के तौर पर दर्शन शास्त्र पढ़ाना प्रारम्भ किया था. इसके बाद उन्होंने 1910 में शिक्षण का प्रशिक्षण मद्रास में लेना आरम्भ कर दिया. 1929 में इन्हें व्याख्यान देने के लिए ‘मानचेस्टर विश्वविद्यालय’ ने आमंत्रित किया. उन्होंने मानचेस्टर और लंदन में भारतीय दर्शनशास्त्र पर कई व्याख्यान दिए.

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