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Gobar Dhan Yojana: जानें क्या है गोबर धन योजना, ग्रामीण कैसे उठा सकते हैं इस योजना का लाभ

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ग्रमीणों के जीवन शैली को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है. इन्हीं योजनाओं में से एक योजना है गैलवनाइजिंगऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेस (GOBAR) यानी कि गोबर धन योजना. पिछले साल 2018 फरवरी में पेश किए गए वित्तीय बजट 2018-19को दौरान तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गांव के ढांचों को बदलने और उनके विकास के लिए इस योजना की घोषणी की थी. गोबर धन योजना को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत शुरू किया गया है. गोबर धन योजना के तहत ग्रामीणों के रहन-सहन सुधारने के साथ-साथ गांव में खुले में होने वाले शौच पर काबू पाया जाएगा, जिसका फायदा ग्रामीणों को मिलेगा.

केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने हरियाणा के करनाल में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान से 1 मई 2018 गोबर धन योजना की शुरुआत की थी. गोबर धन योजना के तहत गांव में ठोस कचरे और पशुओं के गोबर, रसोई घर के कचरे और अन्य जैविक कचरे की मदद से बायो गैस बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. गोबर धन योजना के सुचारू व्यवस्था के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म भी बनाया जाएगा जो किसानों को खरीदारों से कनेक्ट करेगा ताकि किसानों को गोबर और एग्रीकल्चर वेस्ट का सही दाम मिल सके.

एसे काम करेगी गोबर धन योजना

गोबर धन योजना को सुचारू रूप से चलाने के एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म भी बनाया गया है. यह ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्मक किसानों को खरीदारों से जोड़ने का काम करेगा, जिससे किसानों को गोबर और जौविक कूड़े का सही दाम मिल सके. साल 2018-19 में गोबर धन योजना के तहत 115 जिलों का चुना गया है जहां पर सरकार विकास करेगी. सरकार इन जिलों के गांवों के इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, बिजली, सिंचाई जैसी सुविधाओं को भी दुरुस्त करेगी और उन्हें बेहतर बनाएगी. प्रत्येक जिले में एक क्लस्टर का निर्माण किया जाएगा. सरकार का मकसद है कि किसान खुद ही अपनी खाद को बना सकें और अपनी कृषि प्रणाली को मजबूत बना सकें. गोबर धन योजना में जैविक कूड़े का इस्तेमाल कर खाद और अन्य चीजों का उत्पादन किया जाएगा. गोबर धन योजना के अंतर्गत पशुओं के मल, और खेतों में होने वाले कूड़े को कम्पोस्ट, बायो गैस, बायो एनर्जी में बदला जाएगा.

आपको बता दें कि किसान की आय पूरी तरह फसल की पैदावार पर निर्भर करती है, इसलिए यह योजना किसानों की आय बढ़ाने में काफी हद तक कारगार साबित हो रही है. वर्ष 2012 में की गई 19वीं पशुधन जनगणना के अनुसार भारत में मवेशियों की जनसंख्या 30 करोड़ है, जिससे देश में प्रतिदिन लगभग 30 लाख टन गोबर प्राप्त होता है. सरकार ने इस योजना द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ उनको आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक गोबर का सही ढंग से अगर इस्तेमाल किया जाए तो करीब 15 लाख लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. गोबर का सही ढंग से उपयोग करने पर गांव में स्वच्छता बढ़ेगी और कुल मिलाकर गांव पशु आरोग्य होगा जिससे उसकी उत्पादकता में भी इजाफा हो सकेगा.

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Aanchal Pandey

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