नई दिल्ली, देश की सशस्त्र सेनाओं में भर्ती के लिए केंद्र सरकार ने अग्निपथ स्कीम का ऐलान किया है, युवाओं को सेना से जोड़ने और सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए इस स्कीम को लाया गया है, लेकिन अग्निपथ स्कीम को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सबसे ज्यादा यूपी और बिहार […]
नई दिल्ली, देश की सशस्त्र सेनाओं में भर्ती के लिए केंद्र सरकार ने अग्निपथ स्कीम का ऐलान किया है, युवाओं को सेना से जोड़ने और सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए इस स्कीम को लाया गया है, लेकिन अग्निपथ स्कीम को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सबसे ज्यादा यूपी और बिहार में इस योजना का विरोध हो रहा है, इसमें सबसे बड़ा सवाल यही है कि वे सेना में भर्ती के लिए जी-जान से मेहनत करते हैं फिर इतनी मेहनत करके अगर सिर्फ चार साल की नौकरी मिलेगी तो फिर इतनी मेहनत का क्या फायदा ?’
रिटायर्ड डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने इस योजना के बारे में कहा कि ये नई योजना है और इससे पहले कभी ऐसा कुछ ट्राई नहीं किया गया है और न ही कोई पायलट प्रोजेक्ट किया गया है. हमारी फौज बड़ी इफेक्टिव है और पूरी दुनिया में जानी जाती है और उन्हें जो भी काम दिया जाता है, वह पूरी शिद्दत के साथ उस काम को करते हैं. अब चाहे कारगिल हो या फिर जम्मू कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट हो या चीन के साथ कोई तनाव हो, हमारी जो सबसे बड़ी ताकत थी वह एक सैनिक ही है. रिक्रूटमेंट क्राइटेरिया वही है, लेकिन अब सेवा की शर्तों को बदला जा रहा है. ‘
उन्होंने ये भी कहा कि पहले एक फौजी 2 से 3 साल की तैयारी करके रिक्रूटमेंट लेकर आता था और सोचता था कि मैं जिंदगी भर यहां रहूंगा, लड़ूंगा, लेकिन अब ऐसा नहीं है अब वह 2 से 3 साल तैयारी करके सिर्फ 4 साल के लिए क्यों आएगा बल्कि अब वह दूसरी सरकारी नौकरियों में जाएगा वह इस सेवा में नहीं आएगा, ऐसे में हमें बेहतर जवान नहीं मिलेंगे.
केंद्र सरकार, राज्य सरकार भले ही ये कह रही है कि विभिन्न मंत्रालयों, अर्धसैनिक बलों में अग्निवीरों को प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन युवा इससे संतुष्ट नहीं हैं. उनकी सबसे बड़ी चिंता यही है कि चार साल बाद उन्हें सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा तब वे क्या करेंगे. ये छात्र इन बातों से भी नाराज हैं कि सेना की अबतक जो भर्ती प्रक्रिया चली आ रही थी, उसके तहत अब भी कई ऐसे लोग हैं जिनका फिजिकल होने के बावजूद उन्हें सेना की नौकरी नहीं मिली है.
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