नई दिल्ली: देश में अस्थिर खुदरा कीमतों में स्थिरता लेन के लिए भारत सरकार द्वारा सफ़ेद गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. सरकार की इस घोषणा से वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ सकती है. निर्यात पर प्रतिबंध भारत धीरे धीरे अंतरराष्ट्रीय ताकत बनने की ओर बढ़ रहा है. वर्तमान में भारत […]
नई दिल्ली: देश में अस्थिर खुदरा कीमतों में स्थिरता लेन के लिए भारत सरकार द्वारा सफ़ेद गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. सरकार की इस घोषणा से वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ सकती है.
भारत धीरे धीरे अंतरराष्ट्रीय ताकत बनने की ओर बढ़ रहा है. वर्तमान में भारत देश विश्व का सबसे बड़ा बाजार बन चूका है. दुनिया में सभी अन्य देश भारत के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. किसी भी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय मामले पर भारत की टिप्पणी का इंतज़ार किया जाता है. बीते दीनों भारत का चावलों के निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर फैसला सुन कई देशों में भूचाल आ गया है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का कहना है कि वह सरकार द्वारा लगाए गए निश्चित श्रेणी के निर्यात प्रतिबंध को हटाने का प्रोत्साहन देगा क्योंकि इससे वैश्विक महंगाई पर गहरा असर पड़ सकता है. भारत सरकार द्वारा आने वाले त्योहारों को देखते हुए खुदरा कीमतों को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के प्रयोजन से 20 जुलाई 2023 को सफ़ेद गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था.
भारत से अन्य देशों में निर्यात होकर जाने वाले चावल में सफेद गैर-बासमती चावल की कुल 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा- वर्तमान में ऐसे प्रतिबंधों से अन्य देशों की खाद्य कीमतों के अस्थिर होने की आशंका है. निर्यात के इस 25 प्रतिशत चावल को अमेरिका, थाईलैंड, श्रीलंका, इटली और स्पेन जैसे देशों में भेजा जाता है.
चावल की घरेलू कीमतें बढ़ रही हैं. एक साल में करीब 11.5% और पिछले महीने 3% की वृद्धि खुदरा कीमतों में देखने को मिली थी. भारत सरकार ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस लगाए गए प्रतिबंध का केवल एक ही उदेश्य है “भारतीय बाजार में सफेद गैर-बासमती चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना और घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों पर रोक लगाना.