पिथौड़ागड़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के गांव रौतगाड़ा में लड़कियों को हर माह 5 दिनों के लिए स्कूल छोड़ने पर मजबूर किया जाता है. दरअसल जिन पांच दिनों तक लड़कियां माहवारी में होती हैं उस दौरान गांव वाले स्कूल जाने से इसलिए उन्हें रोक देते हैं क्योंकि स्कूल के रास्ते में एक मंदिर पड़ता है. गांव वालों का मानना है कि माहवारी में अगर लड़कियां वहां से गुजरेंगी तो मंदिर अपवित्र हो जाएगा. यही वजह है कि क्षेत्र की कई लड़कियों ने आस पास के शहरी स्कूलों में दाखिला ले लिया है. लोगों की रूढ़ीवादी सोच में सुधार के लिए क्षेत्रीय प्रशासन की एक टीम को इन छात्राओं के परिवार की काउंसिलिंग के लिए भेजा जाएगा ताकि वे बेटियों को इस सोच के चलते स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर न करें.
ये मुद्दा तब चर्चाओं में आया जब एक एनजीओ उत्तराखंड महिला मंच ने क्षेत्र का जायजा लिया. इस एनजीओ का नेतृत्व कर रही उमा भट्ट ने मामले को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि क्षेत्र के सेल गवर्नमेंट इंटरकॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को हर माह 5 दिनों के लिए स्कूल छोड़ने पर मजबूर किया जाता था क्योंकि वे माहवारी में होती थीं. क्योंकि स्कूल के रास्ते में चामू देवता का मंदिर पड़ता था.
बता दें कि देश में माहवारी के दौरान कई जगह महिलाओं और लड़कियों को आज भी अछूत होने का अहसास कराया जाता है. हाल ही में केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिला की एंट्री सदियों से बंद रहने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इसके विरुद्ध फैसला सुनाया था. हालांकि क्षेत्रीय लोगों ने कोर्ट के फैसले को बावजूद अभी तक महिलाओं को मंदिर में नहीं घुसने दिया है.
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