नई दिल्ली. George Fernandes Profile: पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का आज यानी कि 29 जनवरी 2019 को 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. जॉर्ज पिछले सात साल से बिस्तर पर पड़े थे. अल्जाइमर और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों से जारी जंग को सात साल तक मात देने वाले जॉर्ज फर्नांडिस आज हार गए. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने शोक जताया है. गरीबों का मसीहा कहे जाने वाले जॉर्ज फर्नांडिस ने अपने राजनीतिक जीवन में कई बड़े मुकाम हासिल किए. जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में भारत में सबसे बड़ा हड़ताल आयोजित हुआ. सरकार की नींद हराम करने वाले जॉर्ज फर्नांडिस का अंतिम समय बेहद एंकात में बीता. बीमारी के कारण राजनीति से दूर होने के बाद जॉर्ज फर्नांडिस की सुध लेने वाले लोग बहुत कम रह गए. 1950-60 की दशक में ट्रेंड यूनियन के फायरब्रांड नेता रहे जॉर्ज फर्नांडिस ने कामगारों के लिए कई बड़ी लड़ाईयां लड़ी. अब जॉर्ज फर्नांडिस हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका किया हुआ काम सालों-साल तक भारतीय जनमानस को झकझोरता रहेगा.
- जॉर्ज फर्नांडिस की शख्सियत की सबसे बड़ी बात उनकी सादगी रही. मटमैले खादी के कुर्ते-पायजामे, घिसी हुई चप्पल और चश्मे में खांटी एक्टिविस्ट दिखने वाले जार्ज का जन्म तीन जून 1930 को कर्नाटक के मैंगलोर में हुआ. ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज -V के नाम पर जॉर्ज की मां ने उनका नाम जॉर्ज फर्नांडिस रखा. 16 साल की उम्र में भी जॉर्ज फर्नांडिस ने अपने बागी तेवरों की धमक दिखा दी थी.
- क्रिश्चियन मिशनरी में पढ़ाई के लिए भेजे गए जॉर्ज चर्च का पाखंड देख कर मात्र दो साल के अंदर से चर्च छोड़ दिया. 18 साल की उम्र में जॉर्ज रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई आए. जहां उनका संपर्क सोशलिस्ट पार्टी और ट्रेड यूनियनों से हुआ. राम मनोहर लोहिया से प्रेरणा लेकर जॉर्ज ट्रेड यूनियन में शामिल हो गए.
- 1950 के दशक में जॉर्ज की पहचान टैक्सी यूनियन के बड़े नेता के रूप में हो गई. उस दौर में उच्च-मध्यवर्गीय लोग जॉर्ज को बदमाश और तोड़-फोड़ करने वाले मानते थे लेकिन मुंबई के हजारों गरीबों के लिए जॉर्ज फर्नांडिस महीसा थे. 1967 लोकसभा चुनाव में जॉर्ज ने बॉम्बे साउथ सीट से दिग्गज कांग्रेसी नेता एसके पाटिल को हरा कर संसद का सफर तय किया.
- सांसद बनने के बाद जॉर्ज का राजनीतिक करियर काफी तेजी से आगे बढ़ा. 1967 से 2004 तक जॉर्ज 9 बार लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचते रहे. 1970 के दशक में जॉर्ज बड़े जननेता बन करे उभरे.
- 1973 में जॉर्ज को ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन का चेयरमैन चुना गया. उनके नेतृत्व में भारत का सबसे बड़ा रेल हड़ताल आठ मई 1974 को आयोजित हुआ. सरकारी उपेक्षा से नाराज रेलवे कर्मचारियों ने जॉर्ज के नेतृत्व में चक्का जाम किया. सरकार ने इस आंदोलन को कुचलते हुए करीब 30 हजार लोगों को गिरफ्तार किया. लेकिन इसका बड़ा हर्जाना इंदिरा गांधी को चुकाना पड़ा.
- आपातकाल के दौर में जॉर्ज फर्नांडिस गुप्त रहते हुए आंदोलनों का नेतृत्व किया. इस दौरान वे मछुआरा, साधु और सिख का रूप धारण कर घूमते रहे. तब जॉर्ज ने इस समय के भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा गार्ड की भूमिका भी निभाई.
- आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जेल में रहते हुए जॉर्ज फर्नांडिस ने बिहार के मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. जनता पार्टी सरकार में उन्हें उद्योग मंत्री बनाया गया. जनता पार्टी टूटने के बाद जॉर्ज ने समता पार्टी के नाम से एक नया दल बनाया. समता पार्टी और कुछ अन्य नेताओं ने मिल कर बाद में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का गठन किया.
- अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस रक्षा मंत्री बने. उनके समय में भी पोखरण परमाणु परीक्षण किया गया. हालांकि इस दौरान उनके दामन पर कई दाग भी लगे. लेकिन यह भी सच है कि जॉर्ज इकलौते ऐसे रक्षामंत्री हैं, जिन्होंने 6600 मीटर ऊंचे सियाचिन ग्लेशियर का 18 बार दौरा किया.
- सांसद, रक्षा मंत्री समेत अन्य सम्मानजनक पद पर रहते हुए भी जॉर्ज के अंदर का सोशलिज्म जिंदा था. उन्हें करीब से जानने वाले लोगों के अनुसार मंत्री रहते हुए भी जॉर्ज के घर में कोई नौकर नहीं हुआ करता था. वे अपना सारा काम खुद किया करते थे.
- जॉर्ज ने 1971 में लीला कबीर से शादी किया था. लेकिन बाद में 1980 के दशक में जॉर्ज और लीला अलग हो गए. हालांकि जब जॉर्ज की तबियत खराब रहने लगी तो लीला कबीर वापस उनके साथ आ गई. जॉर्ज के निधन से देश ने एक ऐसे नेता को खो दिया है, जिसकी भरपाई कर पाना काफी मुश्किल होगा.
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