सचिन पायलट के घर धरने पर बैठी पुलवामा शहीदों की पत्नियों को उठा ले गई गहलोत की पुलिस

जयपुर: पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की वीरांगनाएं पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के घर के बाहर पिछले दस दिनों से धरना दे रही है। गुरुवार को ये वीरांगनाएं राजस्थान सीएम अशोक गहलोत से मिलने जा रही थी तभी पुलिस ने उन्हें रोक लिया। पुलिस ने वीरांगनाओ को करीब 3 बजे धरना स्थल से […]

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सचिन पायलट के घर धरने पर बैठी पुलवामा शहीदों की पत्नियों को उठा ले गई गहलोत की पुलिस

Ayushi Dhyani

  • March 10, 2023 8:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

जयपुर: पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की वीरांगनाएं पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के घर के बाहर पिछले दस दिनों से धरना दे रही है। गुरुवार को ये वीरांगनाएं राजस्थान सीएम अशोक गहलोत से मिलने जा रही थी तभी पुलिस ने उन्हें रोक लिया। पुलिस ने वीरांगनाओ को करीब 3 बजे धरना स्थल से उठाकर उनके घर भेज दिया है। पहले पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लेने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब तीनों महिलाओं को उनके घर छोड़ दिया गया है। धरने को भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा का समर्थन मिला था। जयपुर पुलिस ने किरोड़ी लाल मीणा को भी हिरासत में ले लिया है।

इसे लेकर एसीपी अनिल शर्मा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को कई बार समझाया गया था लेकिन वे नहीं मान रही थी। पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनका मेडिकल करवाकर कार्यपालिका मजिस्ट्रेट के सामने पेंश करेंगे।

वीरांगनाओं की मांग

बता दें, वीरांगनाए अपने देवरों के लिए नौकरी देने की मांग कर रही है। जबकि सरकार का कहना है कि शहीद के बच्चों को ही नौकरी दी जा सकती है। सचिन पायलट के बंगले के बाहर धरने पर बैठी वीरांगनाओं की दो बड़ी मांगो को अनुचित कहते हुए सीएम गहलोत ने इससे मानने से साफ इनकार कर दिया था। उन्होंने ट्वीट कर वीरांगना के देवर को सरकारी नौकरी देने और शहीद हेमराज की तीसरी मूर्ति लगाने की मांग को अनुचित बताया। इसके अलावा सीएम ने बीजेपी नेताओं पर शहीद वीरांगनाओं का राजनीतिक इस्तेमाल करने का इल्जाम लगाया।

सीएम ने ट्वीट कर कहा कि शहीदों के बच्चों का हक़ मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देने को भला कैसे सही ठहराया जा सकता है ?जब शहीद के बच्चे बालिग़ होंगे तो उनका क्या होगा ? क्या उनका हक़ मारना सही है। भाजपा के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर के उनका अनादर कर रहे हैं। ये राजस्थान की परंपरा नहीं रही है, मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूँ।

 

 

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