जयपुरः सालभर के अंदर राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन होना है। राजस्थान के सीएम गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस में एक व्यक्ति-एक पद नियम के चलते उन्हे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कयास लगाए जा रहे थे। जब बारी राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को बनाने की बात आई, तो गहलोत ने पार्टी आलाकमान के विरोध में तेवर तेज कर दिए।
सूत्रो के हवाले से मिली सूचना के आधार पर गहलोत ने केन्द्रीय पर्यवेक्षकों से माफी मांगी है। गहलोत के माफी मांगते हुए कहा कि हमसे गलती हुई। साथ ही उन्होंने पूरे घटनाक्रम से पल्ला झाड़ लिया है। हालांकि पर्यवेक्षको की प्रतिक्रिया अब तक बाहर नहीं आई है। मामले में गहलोत और उनके गुट के विधायकों के साथ पार्टी आलाकमान आगे सख्त कारवाई करने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं गहलोत अब राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस में पिछड़ते दिखाई पड़ रहे हैं।
केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन द्वारा तय बैठक में गहलोत गुट के विधायक ने दूरी बताई। जिसे केन्द्रीय पर्यवेक्षक ने अनुशासनहीनता करार दिया। गहलोत और उनके गुट के विधायक पार्टी द्वारा निर्धारित मीटिंग में नही शामिल हुए। मीटिंग के समय वह अन्य कांग्रेस नेता के घर बैठक कर रहे थे। जिसे कांग्रेस के शीर्ष के नेता इसे बगावत के तौर पर देख रहे हैं।
समाज में प्रचलित पुरानी कहावत के अनुसार एक त्रिशंकु नाम के राजा थे, जिन्हें जीवित रहते स्वर्ग जाने की ईच्छा हुई। तो वह ऋषि विश्वामित्र के पास गए। ऋषि ने अपनी तपस्या के बल पर उन्हें स्वर्ग भेजना शुरू किया। स्वर्ग के नियम के अनुसार केवल मृत व्यक्ति ही जा सकते हैं। जीवित व्यक्ति को वहां अनुमति नहीं मिलती। नियम का उल्लंघन होता देख देवता के राजा इंद्र को बड़ी चिंता हुई। वह भी अपने दल-बल के साथ त्रिशंकु को रोकने पहुंच गए। अब विश्वामित्र त्रिशंकु को स्वर्ग की ओर भेज रहे थे, वही राजा इंद्र उसे धरती की ओर नीचे धकेल रहे थे। अब त्रिशंकु के असल हालात ऐसे थे कि वह ना तो उपर ही जा पा रहा था और ना ही नीचे आ पा रहा था। गहलोत की जिद के चलते उनकी स्थिति भी त्रिशंकु जैसी बन रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर शुरू हुई हलचल अब तूफान का रुप धारण कर चुकी है। गहलोत के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दावेदारी तो ठीक रही, पर जब बात सचिन पायलट को राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की हुई। तो आलाकमान के फैसले के खिलाफ गहलोत गुट ने बगावती तेवर दिखाए। गुट ने पायलट को छोड़कर कोई भी चलेगा, वाली मांग रखते हुए गहलोत गुट के 80 से अधिक विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप चुके हैं। इस्तीफे के साथ ही गहलोत की मुश्किलें बढ़ गई है। साथ ही अब मुख्यमंत्री बने रहने पर सवाल है? ऐसे में पार्टी व्यक्ति विशेष होकर आगे तो बढ़ नहीं सकती है, तो वहीं गहलोत को पार्टी के तजुर्बेकार नेता सचिन पायलट से ऐसी अनबन क्या हैं, जिसे बैठकर सुलझाया नहीं जा सकता?
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