नई दिल्ली। यूपी के गोरखपुर की गीता प्रेस को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार मिलने पर सियासत जारी है. इस बीच कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने इस विवाद पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि भाजपा, कांग्रेस को हिंदू विरोधी पार्टी घोषित करना चाहती है. इसी वजह से कांग्रेस में जिम्मेदार […]
नई दिल्ली। यूपी के गोरखपुर की गीता प्रेस को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार मिलने पर सियासत जारी है. इस बीच कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने इस विवाद पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि भाजपा, कांग्रेस को हिंदू विरोधी पार्टी घोषित करना चाहती है. इसी वजह से कांग्रेस में जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को गीता प्रेस के खिलाफ कुछ भी कहने से बचना चाहिए. गीता प्रेस के खिलाफ कुछ भी कहना हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने जैसा है.
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की थी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को दिया जा रहा है, जो इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. अक्षय मुकुल ने साल 2015 में इस संस्थान की एक बहुत अच्छी जीवनी लिखी, जिसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ान वाले संबंधों, राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का जिक्र किया है. रमेश ने आगे कहा कि मोदी सरकार का यह फैसला वास्तव में एक उपहास है. ये सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिलने पर ट्वीट किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि 100 सालों से ज्यादा वक्त से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे पवित्र हिंदू ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से लोगों तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रही है. इसी वजह से गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिलना उनकी ओर से किए जा रहे भागीरथ कार्यों का सम्मान भर है. केंद्रीय गृह मंत्री ने आगे लिखा कि गीता प्रेस को यह पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन लाने की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा रहा है.
Gita Press: गीता प्रेस ने स्वीकार किया गांधी शांति पुरस्कार, लेकिन इस वजह से नहीं लेगा धनराशि