नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से भारी नुकसान होने के बाद अडानी ग्रुप ने अब कोर्ट का रुख किया है. नुकसान और छवि को ठेस पहुंचने के बाद गौतम अडानी अब आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं. बदले की तैयारी में अब अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी ने शॉर्ट […]
नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से भारी नुकसान होने के बाद अडानी ग्रुप ने अब कोर्ट का रुख किया है. नुकसान और छवि को ठेस पहुंचने के बाद गौतम अडानी अब आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं. बदले की तैयारी में अब अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी ने शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg) के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है. इस दिशा में अब उन्होंने बड़े कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं. इसी कड़ी में अब अडानी ने एक बड़ी और महंगी अमेरिका लॉ फर्म (US Law Firm) को हायर भी कर लिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए गौतम अडानी ने अब अमेरिकी लीगल फर्म वॉचटेल (Wachtell) को चुना है. दुनिया भर में इस फार्म का बहुत नाम है और इसकी सबसे ज्यादा चर्चा विवादित मामलों को लेकर की जाती है. यह फार्म अपनी लीगल फाइट करने को लेकर मशहूर रही है. अडानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद निवेशकों के सेटिंमेंट पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव और उन्हें फिर से आश्वस्त करने की दिशा में अडानी ने अब ये बड़ा क़दम उठाया है.
गौरतलब है कि पहले ही अडानी ग्रुप (Adani Group) की ओर से साफ़ कर दिया गया था कि वो शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ अपनी कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. अब रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि ग्रुप ने शॉर्ट सेलर फर्म को सबक सिखाने के लिए न्यूयॉर्क स्थित वाचटेल लिप्टन, रोसेन और काट्ज के टॉप वकीलों की सेवाएं ली हैं. बता दें, पिछले महीने 24 जनवरी को हिंडनबर्ग की एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की गई थी. इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर अकाउंटिंग फ्रॉड, स्टॉक मैन्युपुलेशन समेत कर्ज को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे.
अपनी रिपोर्ट में Hindenburg ने 88 सवाल उठाए थी. उन्होंने आरोप लगाया कि इन सवालों का अडानी ग्रुप ठीक से जवाब नहीं दे पाया. उल्टा इस रिपोर्ट का ग्रुप पर ऐसा असर हुआ कि शेयरों में एकदम से सुनामी आ गई और 10 दिनों के भीतर ही Adani Group का मार्केट कैपिटलाइजेशन आधा साफ हो गया. इतना ही नहीं चेयरमैन गौतम अडानी के नेटवर्थ पर भी इस रिपोर्ट का बुरा असर पड़ा। वह अचानक दुनिया के टॉप अरबपतियों की लिस्ट में चौथे पायदान से खिसक गए. अडानी की संपत्ति घटकर अब महज 58.7 अरब डॉलर रह गई है जो पहले 110 अरब डॉलर से ऊपर थी.
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