नई दिल्ली। देश में खाने के प्रति लोगों का अलग ही क्रेज देखा जाता है। आज कोई भी फीका खाना नहीं खाना चाहता। फिर चाहे वो दाल या सब्जी , लहसुन के बिना तड़का अधूरा है। लेकिन स्वाद में जान डालने वाले इस लहसुन का दाम (Garlic Price) कम होने का नाम ही नहीं ले […]
नई दिल्ली। देश में खाने के प्रति लोगों का अलग ही क्रेज देखा जाता है। आज कोई भी फीका खाना नहीं खाना चाहता। फिर चाहे वो दाल या सब्जी , लहसुन के बिना तड़का अधूरा है। लेकिन स्वाद में जान डालने वाले इस लहसुन का दाम (Garlic Price) कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में नॉनवेज खाने वालों की तकलीफ तो कुछ ज्यादा ही है। नॉनवेज में प्याज और लहसुन का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन जहां एक तरफ चिकन 200 से 300 रुपये किलो बिक रहा है तो वहीं लहसुन 400 से 600 रुपये किलो का हो गया है।
बता दें कि लहसुन के तेवर अभी कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं। अभी भी कई शहरों में लहसुन की कीमत 600 रुपये किलो है। हालांकि, अधिकांश शहरों में इसकी कीमत पिछले कुछ महीनों में 200-280 रुपये प्रति किलोग्राम से दोगुनी होकर 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। लहसुन की कीमतों में उछाल के पीछे का कारण उत्पादन और बाजारों में आई भारी गिरावट बताया जा रहा है।
वहीं बुआई और कटाई में देरी की वजह से बेंगलुरु के बाजारों में लहसुन की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। यशवंतपुर में एपीएमसी यार्ड में शुक्रवार को लहसुन 350 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिका, जबकि खुदरा बाजारों में इसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम तक देखी गई। इस बढ़त से पहले थोक बाजारों में प्रति किलोग्राम लहसुन की बिक्री कीमत करीब 100-250 रुपये और खुदरा बाजारों में 200-350 रुपये थी।
दरअसल, जनवरी 2024 से फरवरी 2024 तक लहसुन की मासिक आवक 5.2 लाख मीट्रिक टन से घटकर 4.8 लाख मीट्रिक टन हो गई थी, जो स्पलाई में संभावित कमी दर्शाती है। वहीं दिसंबर 2023 में लहसुन की कीमत 150 रुपये प्रति किलोग्राम थी और जनवरी 2024 में 145 प्रति किलोग्राम देखी गई।
इस संबंध में केडिया कमोडिटिज के प्रेसीडेंट अजय केडिया का कहना है कि भुवनेश्वर में लहसुन की कीमतें (Garlic Price) पिछले सप्ताह में बढ़ गई हैं। इसकी खुदरा कीमतें 450 रुपये प्रति किलोग्राम और थोक कीमतें 320 रुपये से 350 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में खराब या बेमौसम बारिश के कारण फसल खराब हो गई थी, इसकी वजह से लहसुन की आपूर्ति कम हुई। जिसके बाद, नई फसल की कटाई में देरी की वजह से भी सप्लाई पर दबाव पड़ा।
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