नई दिल्ली: देशभर में मार्च महीने के बाद बड़ी पेट्रोल डीजल की कीमतों के चलते अप्रैल के शुरुआती 2 हफ्तों में ईंधन की बिक्री में कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार मार्च महीने की तुलना में अप्रैल के आधे महीने में पेट्रोल की बिक्री लगभग 10 प्रतिशत गिर गई है, जबकि डीजल की मांग में […]
नई दिल्ली: देशभर में मार्च महीने के बाद बड़ी पेट्रोल डीजल की कीमतों के चलते अप्रैल के शुरुआती 2 हफ्तों में ईंधन की बिक्री में कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार मार्च महीने की तुलना में अप्रैल के आधे महीने में पेट्रोल की बिक्री लगभग 10 प्रतिशत गिर गई है, जबकि डीजल की मांग में 15.6 प्रतिशत की गिरावट आई। यहां तक कि घरों के किचन में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी गैस जिसकी बिक्री में महामारी की अवधि के दौरान भी लगातार वृद्धि देखी गई थी, उसकी खपत में भी 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के दौरान महीना-दर-महीना आधार पर 1.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
22 मार्च से बढ़ने शुरू हुए थे पेट्रोल-डीजल के दाम
सरकारी तेल कंपनियों ने 22 मार्च से पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी करना शुरू किया था, इससे पहले 137 दिनों तक ईधन के दाम में कोई वृद्धि नहीं की गई थी. अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने की वजह से तेल कंपनियों ने मार्च महीने में एका-एक ईधन के दाम में वृद्धि की थी जिसका नतीजा रहा कि 22 मार्च से 6 अप्रैल के बीच पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई।
16 दिनों में पिछले 2 दशक की सबसे ज़्यादा वृद्धि
पेट्रोल डीजल की कीमतों में जो उछाल पिछले 16 दिनों के भीतर आया है, वह पिछले 2 दशक का सबसे ज़्यादा उछाल है. 22 मार्च को रसोई गैस में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी गैस की कीमतों में 50 रूपये की बढ़ोतरी की गई थी, जिसके बाद राजधानी दिल्ली में सिलेंडर की कीमत बढ़कर 949.50 हो गईं थी। ये सब्सिडी वाले ईंधन की सबसे अधिक दर है।