नई दिल्ली: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद 32 साल पुराना है जिसकी चर्चा एक बार फिर होने लगी है. हालांकि इस मस्जिद और कथित मंदिर का इतिहास 350 साल पुराना है. कोर्ट के आदेश के बाद आज ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम पहुंची है जो वहां वैज्ञानिक […]
नई दिल्ली: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद 32 साल पुराना है जिसकी चर्चा एक बार फिर होने लगी है. हालांकि इस मस्जिद और कथित मंदिर का इतिहास 350 साल पुराना है. कोर्ट के आदेश के बाद आज ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम पहुंची है जो वहां वैज्ञानिक सर्वे करेगी. आदेश के अनुसार ASI को सर्वे करने के बाद 4 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करनी है. इस दौरान वजूखाने में सर्वे नहीं किया जाएगा बाकी परिसर में ये सर्वे होगा जिसमें ASI के 43 सदस्य जुटे हुए हैं. इस दौरान दोनों पक्षों के चार वकील भी मौके पर मौजूद रहेंगे. आइए जानते हैं क्या है पूरा विवाद और क्या है इसका इतिहास.
ज्ञानवापी की चर्चा पिछले साल से शुरू हुई है जहां अगस्त 2021 को पांच महिलाओं द्वारा वाराणसी के सिविल जज के सामने एक वाद दायर किया गया था. इस वाद में महिलाओं ने कोर्ट से श्रृंगार गौरी मंदिर में रोज़ाना पूजा करने और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी. जज रवि कुमार दिवाकर ने याचिका पर मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश जारी किया था. कोर्ट के आदेश के बाद पिछले साल तीन दिन तक सर्वे किया गया था जिसके बाद हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर में शिवलिंग होने का दावा किया था. हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद असल में मंदिर है जिसे बाद में मस्जिद का रूप दिया गया.
पांच वादी महिलाओं में से चार महिलाओं ने इसी साल मई महीने में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को तोड़कर सर्वे करवाए जाने की मांग की गई थी. इसी पर जिला जज विश्वेश का फैसला आया है जहां ASI को सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं. दूसरी ओर इस मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. आइए अब इस विवाद को और भी गहराई से समझने का प्रयास किया जाए.
काफी हद तक काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद अयोध्या विवाद से मिलता जुलता है. हालांकि अयोध्या मामले में मस्जिद बनी थी और यहां पर मंदिर-मस्जिद दोनों ही बने हुए हैं. काशी विवाद की बात करें तो हिंदू पक्ष का कहना है कि साल 1669 में मुग़ल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा और यहां पर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी. यहां पर हिंदू पक्ष का दावा है कि 1670 से वह इसे लेकर लड़ाई चली. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां पर शुरुआत से ही मस्जिद थी.
मंदिर या मस्जिद कैसे बना और इसे किसने बनवाया इसे लेकर भी काफी विवाद है. हालांकि इस बात को लेकर कई राय जरूर मौजूद हैं. जिसमें से एक ये है कि इस मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य द्वारा करवाया गया. माना जाता है कि अकबर के शासन काल में इसका निर्माण फिर करवाया गया. हालांकि 1669 में औरंगजेब ने इस मंदिर को तुड़वा दिया और यहां पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया गया. बता दें, वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था जो ज्ञानवापी मस्जिद से सटा हुआ है. दोनों जगहों के आने-जाने के रास्ते अलग-अलग दिशाओं से होकर हैं.
जानकारों का मानना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल ने ही बनवाया था. इसके बाद 1669 में इस मंदिर को औरंगजेब ने तुड़वा दिया लेकिन इसके बाद फिर 1735 में रानी अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया.
हिंदू पक्ष की क्या है मांगें?
– पहलीः कोर्ट द्वारा इस पूरे ज्ञानवापी परिसर को काशी मंदिर का हिंसा घोषित किया जाए.
– दूसरीः मस्जिद को ढहाने का आदेश दिया जाए और मुस्लिम लोगों के यहां आने पर प्रतिबंध लगाया जाए.
– तीसरीः मंदिर का पुर्निर्माण करने की अनुमति दी जाए.
– 1919 : वाराणसी कोर्ट में पहली याचिका स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से दायर हुई. ज्ञानवापी परिसर में याचिकाकर्ता ने पूजा करने की अनुमति मांगी.
– 1998 :अंजुमान इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली याचिका को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया.इसके बाद 22 साल तक ये केस पर सुनवाई नहीं हुई.
– 2019 :विजय शंकर रस्तोगी ने स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाराणसी जिला अदालत में याचिका दायर की. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने की मांग की गई.
-2020: सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोक लगाते हुए फैसला सुरक्षित रखा. रस्तोगी ने 2020 में ही निचली अदालत का रुख किया, इसमें फिर से मामले की सुनवाई शुरू करने की मांग की गई.
-अप्रैल 2021- वाराणसी सिविल कोर्ट ने हाई कोर्ट की रोक के बावजूद मामला दोबारा खोला। मस्जिद के सर्वे की इजाजत दी गई इसके बाद अंजुमान इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने याचिका का विरोध किया. हाई कोर्ट ने फिर ज्ञानवापी परिसर का ASI से सर्वे कराने की मांग वाली सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी.
-अगस्त 2021- वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने पांच हिंदू महिलाओं ने एक वाद दायर किया था. इस याचिका में महिला ने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में हर रोज़ पूजा और दर्शन करने की अनुमति मांगी.
-अप्रैल 2022- सिविल कोर्ट ने अप्रैल महीने में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने के आदेश दे दिए. कई तकनीकी पहलुओं को आधार बनाते हुए एक बार फिर मस्जिद इंतजामिया ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की जो खारिज हो गई.
-मई, 2022- हिंदू पक्ष ने सेशन कोर्ट में विवादित स्थल को सील करने की मांग की. अदालत ने इस मांग को स्वीकार कर लिया.
-सितंबर 2022: 5 महिलाओं की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा पाठ करने की याचिका को वाराणसी जिला अदालत ने स्वीकार कर लिया .
मई 2023- समय-समय पर अदालत में सुनवाई हुई जहां इसी साल मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI के सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की साइंटफिक सर्वे की याचिका को स्वीकार किया.