देश-प्रदेश

मिर्जापुर के कालीन से लेकर राजस्थान का पत्थर! जानें भव्य संसद की अनकही बातें

नई दिल्ली: नई संसद महानता और भव्यता की मिसाल है। इस भव्यता में देश के रंग भी शामिल हैं। नई संसद में अलग-अलग राज्यों की खूबियां दिखेंगी। मिर्जापुर के कालीन संसद में नजर आएंगे। त्रिपुरा बांस की फर्श सुंदरता में चार चांद लगा देगी। राजस्थानी पत्थरों से इसे लग्जरी लुक दिया गया है। नई संसद “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की थीम पर तैयार की गई है।

 

➨ सुंदरता के साथ सुरक्षा भी होगी फर्स्ट क्लास

देश की संस्कृति के रंग दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नई संसद का उद्घाटन करेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि नई संसद को भव्य बनाने के लिए देश के किस हिस्से से क्या-क्या लाया गया है। जिसके बाद जाकर सुंदरता और भव्यता की अनोखी मिसाल कायम हुई है। बता दें, सुंदरता के साथ-साथ नई संसद में सुरक्षा के भी पक्के इंतेज़ाम किए गए हैं।

 

➨ 5 प्वाइंट्स में समझें, नई संसद को कैसे इतनी भव्य हुई?

1. राजस्थान से पत्थर, महाराष्ट्र से लकड़ी

राजस्थान के सरमथुरा से लाए गए लाल और सफेद पत्थर नई संसद की शोभा बढ़ाएंगे। ये वही पत्थर हैं जिनका इस्तेमाल लाल किले और हुमायूं के मकबरे में हुआ था। इमारत में इस्तेमाल होने वाली सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से आती है। प्रधानमंत्री मोदी ने नई संसद का एक वीडियो शेयर किया, जहां इसकी खूबसूरती की झलक साफ़-साफ नज़र आ सकती है

 

2. मुंबई का फर्नीचर और दमन का फॉल्ससीलिंग

उदयपुर का केसरिया हरा पत्थर, अजमेर के पास लाखा लाल ग्रेनाइट और राजस्थानी से सफेद संगमरमर मंगवाया गया है। इस संसद में जो फर्नीचर रखा गया है उसे मुंबई से बनवाया गया है। इतना ही नहीं, यहां के लोकसभा और राज्यसभा चैम्बर के फॉल्स सीलिंग में इस्तेमाल किया गया मैटेरियल दमन और दीव से लाया गया है। जो नई संसद की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

 

3. औरंगाबाद और जयपुर की मैटेरियल वाला राष्ट्रीय चिन्ह

नई संसद के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ में इस्तेमाल होने वाला मैटेरियल महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से आया था। अशोक स्तंभ की भव्यता बयां करने वाले कई वीडियो और तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं। इसका इस्तेमाल जगह के अलग-अलग हिस्सों में भी किया गया था। साथ ही, लोकसभा और राज्यसभा चैम्बर की विशाल दीवारें और संसद भवन के बाहरी हिस्से में अशोक चक्र को MP इंदौर से लाया गया था।

 

4. राजस्थानी कारीगरों ने पत्थरों को तराशा

नई संसद पर पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों ने किया था, जिन्हें राजस्थान के कोटपूतली से मंगवाया गया था। साथ ही अलग-अलग हिस्सों में इस्तेमाल होने वाला पीतल अहमदाबाद से लाया गया था।

 

5. हरियाणा रेत, यूपी ईंट

निर्माण में एक खास तरह की रेत का इस्तेमाल किया गया था। यह हरियाणा के चरखी दादरी से आई थी। इसे M-सैंड कहा जाता है और इसे सीमेंट मैटेरियल के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। इमारत में इस्तेमाल की गई ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लाई गई थीं।

 

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Amisha Singh

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