नई दिल्लीः नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोमवार को ड्रोन पॉलिसी जारी की है. इसमें ड्रोन तकनीक के कमर्शियल यूज को 1 दिसंबर से मंजूरी दे दी गई है. केंद्र सरकार ने अभी लाइन ऑफ साइट ड्रोन को मंजूरी दी है. इसे आने वाले समय में हटाया भी जा सकता है. हालांकि मंत्रालय ने ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर कुछ शर्तें भी रखी हैं.
केंद्र सरकार ने ड्रोन्स के सभी प्रकारों को कुल 5 वर्गों में बांटा है. सबसे पहली (छोटी) श्रेणी को नैनो कैटेगरी नाम दिया गया है. इसमें 250 ग्राम तक वजन ले जाया जा सकता है. इस तरह से इस्तेमाल को देखते हुए इसे 150 किलोग्राम तक बढ़ाया जा सकता है. पहली दो कैटेगरी (250 ग्राम और 2 किलो) वाले ड्रोन्स को छोड़कर सभी वर्गों के ड्रोन्स को रजिस्टर करवाना होगा मतलब उनके लिए मंत्रालय की ओर से लाइसेंस लेना होगा.
250 ग्राम और 2 किलो तक के ड्रोन्स को छूट इसलिए दी गई है क्योंकि ज्यादातर उनका इस्तेमाल बच्चे खिलौने के तौर पर करते हैं. लाइसेंस मिलने के साथ ही उनका यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UIN) भी जारी किया जाएगा. ड्रोन का लाइसेंस हासिल करने के लिए कुछ नियम भी तय किए गए हैं. जैसे- लाइसेंस होल्डर की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए. वह दसवीं कक्षा पास होना चाहिए. इसके इस्तेमाल के लिए लाइसेंस होल्डर को अंग्रेजी भी आनी चाहिए.
मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि कुछ इलाकों ‘नो फ्लाइ जोन’ घोषित किया गया है. देश के सभी एयरपोर्ट्स, दिल्ली का विजय चौक, सचिवालय, इंटरनेशनल बॉर्डर्स के आसपास के इलाके और सैन्य इलाकों को ‘नो फ्लाइ जोन’ के तहत रखा गया है. उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने इस बारे में बताते हुए कहा कि फिलहाल अभी लाइन ऑफ साइट आगे वाले ड्रोन्स को मंजूरी दी गई है. आने वाले समय में बियॉन्ड लाइन ऑफ साइट ड्रोन्स को भी केंद्र सरकार मंजूरी दे सकता है.
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