How Airbag Opens, How Seat Belt Works, Airbag Opening Time, How much time Airbag takes to open, Airbag Opening Milliseconds, Seat Belt Airbag Miracle Life Saving Safety Video, How Airbag Works in Hindi, How Airbag Opens in Hindi: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक चालान के नए महंगे जुर्माना को लेकर काफी लोगों का कोपभाजन बने हैं. लेकिन डैशबोर्ड कैमरा से इंडिया में रिकॉर्ड एक ट्रक और एसयूवी कार के एक्सीडेंट में सीट बेल्ट और एयरबैग ने कैसे ड्राइवर को मरने से बचाया और सिर्फ जान नहीं बचाया बल्कि घायल तक नहीं होने दिया, ये वीडियो देखने के बाद आप नए ट्रैफिक नियम और ट्रैफिक पुलिस के चालान के डर से नहीं, खुद की जान बचाने के लिए सीट बेल्ट लगाना शुरू कर देंगे. एक्सीडेंट के महज 4 सेकेंड बाद ड्राइवर अपनी सीट से बेल्ट खोलकर उतरता नजर आता है जिसमें स्टीयरिंग पर खुला एयरबैग भी है.
नई दिल्ली. फोर व्हीलर एसयूवी कार में ड्राइवर और बाकी पैसेंजर की लाइफ सेफ्टी के लिए सीट बेल्ट और एयरबैग होते हैं जो सीधी टक्कर और खतरनाक जानलेवा एक्सीडेंट की सूरत में गाड़ी में बैठे लोगों को मरने या गंभीर रूप से घायल और विकलांग होने से बचाते हैं. सीट बेल्ट और एयरबैग कार में सवार लोगों की जान बचाने में कितना कारगर है, इससे जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसे फोर्ड की इकोस्पॉर्ट कार में लगे डैशबोर्ड कैमरा से रिकॉर्ड किया गया है. वीडियो में कार से सामने से दूसरी लेन से एक ट्रक आकर गाड़ी से टकराता है और सीट बेल्ट लगाकर बैठा ड्राइवर सीट बेल्ट के साथ-साथ एयरबैग के खुलने से भयानक और जोरदार दुर्घटना में सकुशल बच जाता है. ये एक ऐसा वीडियो है जिसे देखने के बाद कोई कार ड्राइवर नितिन गडकरी के नए ट्रैफिक नियम और ट्रैफिक पुलिस के चालान या जुर्माना के डर के बदले अपनी जान बचाने के लिए सीट बेल्ट लगाना शुरू कर देगा. ऐसे हादसे कभी भी किसी के साथ हो सकते हैं क्योंकि आपकी कार तो आपके हाथ में है लेकिन सड़क पर चल रही दूसरी गाड़ी आपके नियंत्रण में नहीं है और कब उस गाड़ी का चालक कंट्रोल खोकर आपसे टकरा जाए, ये आपको पता नहीं होता है.
तेलंगाना पुलिस की आईजी स्वाति लकरा ने मात्र 37 सेकेंड का ये वीडियो शेयर किया है और वीडियो की शुरुआत में गुजर रही बस पर दक्षिण भारतीय भाषा में परिवहन कंपनी का नाम है जिससे ये लगता है कि वीडियो तेलंगाना या आंध्र प्रदेश जैसे किसी दक्षिण भारतीय राज्य का है. वीडियो फोर्ड की इकोस्पोर्ट कार के डैशबोर्ड कैमरा से रिकॉर्ड हुआ है और ये दुर्घटना 13 सितंबर, 2019 की सुबह 8.38 बजे की है. वीडियो में किसी फ्लाइओवर पर अपने लेन में जा रही कार के सामने अचानक से डिवाइडर की दूसरी तरफ से एक ट्रक काफी तेजी से पलटते हुए आती है और पूरे कार पर सामने से आ गिरती है.
#SeatBelts SAVE
Drive safe pic.twitter.com/lSYy7Q9KZt— Swati Lakra (@SwatiLakra_IPS) September 26, 2019
एक्सीडेंट इतना भयानक है कि अगर ड्राइवर ने सीट बेल्ट ना लगा रखी होती और एयरबैग नहीं खुलता तो उसका बचना मुश्किल था. ड्राइविंग सीट पर बैठे आदमी की होशियारी और गाड़ी चलाने के सेफ्टी नियमों का पालन करने से उसकी जान बच गई. 37 सेकेंड के वीडियो में एक्सीडेंट के बाद ड्राइवर सीट बेल्ट खोलकर गाड़ी से निकलता हुआ दिखता है जिससे ये भी साफ है कि ना सिर्फ उसकी जान बची बल्कि उसे कोई गंभीर चोट नहीं आई और वो गंभीर रूप से घायल या किसी तरह की शारीरिक विकलांगता का शिकार होने से भी बच गया.
कैसे काम करता है सीट बेल्ट और एयरबैग जिससे बचती है ड्राइवर और सामने वाली सीट पर बैठे पैसेंजर की जान
एयरबैग एक तय स्पीड से ऊपर के टक्कर या एक्सीडेंट में टक्कर से 60-80 मिलिसेकेंड में खुल जाता है. एक सेकेंड में 1000 मिलिसेकेंड होते हैं तो आप समझ सकते हैं कि ये सब कितना तेजी से होता है. टक्कर के 15 से 30 मिलिसेकेंड के अंदर एयरबैग के खुलने की प्रक्रिया ऑटोमैटिक रूप से शुरू हो जाती है जो 60 से 80 मिलिसेकेंड में पूरी हो जाती है. इतनी तेजी से एयरबैग का सर्किट एक्टिव होता है और गैस के तेज गुबार के साथ एयरबैग का गुब्बारा खुलता है जिसमें काफी तेज दवाब का अनाहिकर गैस होता है. ड्राइवर या पैसेंजर का सिर जब एयरबैग से टकराता है तो उसके साथ ही बैग का गैस कम होने लगता है और ये काम भी मिलिसेकेंड में होता है ताकि ड्राइवर या पैसेंजर का सिर एयरबैग से टकराकर वापस ना फिंके और उसे सिर या गर्दन में चोट आए. तो कहानी एयरैग की.
फोर व्हीलर में सीट बेल्ट तो बहुत पहले से लगते रहे लेकिन वो सीधी टक्कर या दूसरी तरह के एक्सीडेंट में ड्राइवर के गर्दन के नीचे के हिस्से को तो सीट से चिपकाए रख लेते थे लेकिन सर को स्टीयरिंग से या किसी और चीज से टकराने से नहीं बचा पाते थे जिससे सीट बेल्ट लगाने के बाद भी कई लोग दुर्घटना में मर रहे थे. जर्मन के रिसर्चर वाल्टर लिंडेरर ने अक्टूबर 1951 और अमेरिका के रिसर्चर जॉन हेट्रिक ने अगस्त, 1952 में एयरबैग का पेटेंट अप्लाई किया था. जॉन हेट्रिक को अगस्त, 1953 में जबकि लिंडेरर को नवंबर, 1953 में पेटेंट जारी किया गया. तो ये मान सकते हैं कि कार में एयरबैग की नींव यहां से पड़ी.
एयरबैग का सफल इस्तेमाल तभी हो सकता है जब आगे की सीट पर बैठे ड्राइवर या पैसेंजर ने सीट बेल्ट लगा रखा हो क्योंकि ये सिर को जानलेवा चोट से बचाने का काम करता है. अगर सीट बेल्ट ना लगा हो तो एयरबैग उल्टा जानलेवा हो सकता है क्योंकि वो काफी ताकत के साथ खुलता है और उसमें काफी गैस भरा होता है जो सिर के टच करते ही कम होने लगता है. यहां तक कि अगर अगली सीट पर बैठे आदमी की गोद में बच्चा, मोबाइल, थर्मस जैसा कोई सामान हो तो भी सीट बेल्ट लगाने के बावजूद एयरबैग नुकसान पहुंचा सकता है. एयरबैग और पैसेंजर के बीच कोई तीसरा सामान या बच्चा कुछ नहीं होना चाहिए. अगली सीट पर यदि गोद में बच्चा हो तो एयरबैग बच्चे को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है और ये जानलेवा भी हो सकता है क्योंकि एयरबैग और पैसेंजर के बीच एक दूरी होनी चाहिए.
सीट बेल्ट कैसे काम करता है ये हम ड्राइवर भी आम तौर पर जानते हैं कि अगर प्यार से सीट बेल्ट खींचते हैं तो वो खुलती है लेकिन झटका मार दें तो लॉक हो जाती है. एक्सीडेंट में भी यही सिस्टम काम करता है और जैसे ही कोई झटका लगता है बेल्ट लॉक होकर पैसेंजर और ड्राइवर को सीट से चिपकाए रखती है. एयरबैग खुलने का फैसला तकनीकी तौर पर कार की अचानक घटी स्पीड से ऑटोमैटिक सिस्टम करता है. ये न्यूटन के गति के पहले नियम यानी जड़त्व के नियम से संचालित होता है जो कहता है कि कोई स्थिर या चल रही चीज तब तक उसी तरह रहेगी जब तक कोई बाहरी ताकत उसका व्यवहार ना बदले. तेज कार एक्सीडेंट में रुक भी जाए तो उस पर सवार आदमी उसी रफ्तार से चलायमान होता है और उसे कार से बाहर फिंकने से बचाने के लिए सीट बेल्ट और टक्कर में चोट से बचाने के लिए एयरबैग काम करता है.
जब टक्कर होती है तो अचानक कार की रफ्तार गिर जाती है जो ब्रेक लेने के दौरान धीरे-धीरे नीचे जाती है. एयरबैग खुलने का फैसला कार में लगा सेंसर और सिस्टम स्पीड के अचानक घटने की स्पीड के आधार पर करता है कि वो ब्रेक लगाने से धीरे-धीरे नीचे जा रही है या कार टकरा चुकी है और अचानक स्पीड कम हो गई है इसलिए एयरबैग खोल दिया जाए.