अब 4 पूर्व जजों ने CJI दीपक मिश्रा को लिखा खुला पत्र, कहा- न्यायपालिका के अंदर ही सुलझे मामला

सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व सहित विभिन्न हाई कोर्ट के पूर्व जजों ने मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के नाम खुला पत्र लिखा लिखकर जजों के आरोपों का समर्थन किया है. पूर्व जजों ने इस विवाद को ज्युडिशरी के अंदर ही निपटाने की सलाह दी है. सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों जे. चेलामेश्वर, कुरियन जोसेफ, मदन लोकुर और रंजन गोगोई ने प्रेस कांफ्रेंस कर गंभीर सवाल उठाए थे.

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अब 4 पूर्व जजों ने CJI दीपक मिश्रा को लिखा खुला पत्र, कहा- न्यायपालिका के अंदर ही सुलझे मामला

Aanchal Pandey

  • January 14, 2018 7:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों जे. चेलामेश्वर, कुरियन जोसेफ, मदन लोकुर और रंजन गोगोई की प्रेस कांफ्रेंस के बाद खड़े हुए विवाद को सुलझाने के बारे में चार रिटायर्ड जजों ने CJI दीपक मिश्रा के नाम खुला खत लिखा है. पूर्व जजों ने खत लिखकर कहा कि वे वरिष्ठ जजों के उठाए मुद्दों से सहमत हैं. इस मामले को ‘न्यायपालिका के भीतर’ ही सुलझाने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पी.बी. सावंत, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ए.पी. शाह. मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व जज के. चंद्रू और बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व जज एच. सुरेश ने CJI दीपक मिश्रा को लिखे खुले खत को मीडिया में जारी किया.

दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ए.पी. शाह ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने और बाकी पूर्व जजों ने CJI को खुला खत लिखा है. उन्होंने कहा, ‘हमने खुला खत लिखा है और उसमें जिन बाकी जजों का नाम है, उन्होंने भी इसके लिए सहमति दी है.’ जस्टिस शाह ने कहा कि रिटायर्ड जजों ने जिस विचार को व्यक्त किया है वह पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन (SCBA) की राय से मिलती है कि जब तक इस संकट का समाधान नहीं होता तब तक अहम मसलों को सीनियर जजों वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ में सूचीबद्ध करना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायधीशों जे. चेलामेश्वर, कुरियन जोसेफ, मदन लोकुर और रंजन गोगोई के आरोपों का समर्थन करते हुए खुलापत्र लिखने वाले पूर्व जजों का कहना है कि हाल के महीनों में मुख्य न्यायधीश अहम मुकदमे वरिष्ठ जजों की बेंच को भेजने की बजाय अपने चहेते कनिष्ठ जजों को भेजते रहे हैं. रोस्टर तय करने का अधिकार मुख्य न्यायधीश का है लेकिन बेंच बनाने, खासकर संविधान पीठ का गठन करने में भी वरिष्ठ जजों की उपेक्षा की जाती रही है. लिहाज़ा मुख्य न्यायाधीश खुद इस मामले में पहल करें और भविष्य के लिए समुचित और पुख्ता न्यायिक व प्रशासनिक उपाय करें.

चारों रिटायर्ड जजों ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के चारों वरिष्ठ जजों से सहमत हैं कि भले ही रोस्टर तय करने का अधिकार सीजेआई का है और वह केसों को अलग-अलग बेंचों को आवंटित कर सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ‘संवेदनशील और अहम मामलों’ को जूनियर जजों की कुछ चुनिंदा बेंचों को आवंटित किया जाए. चारों रिटायर्ड जजों ने अपने खुले खत में कहा है कि मुद्दे को हल किए जाने की जरूरत है और केसों का आवंटन तार्किक, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो। उन्होंने कहा कि ज्युडिशरी में जनता के विश्वास को बहाल करने के लिए इसे तत्काल किया जाना चाहिए.

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