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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने कानून मंत्री पर साधा निशाना , कहा – ‘ कॉलेजियम की सिफारिशों को रोकना ….’

नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम पर केंद्र सरकार के बढ़ते हमलों के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंटन फली नरीमन ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू पर निशाना साधा है। बता दें ,शुक्रवार यानी 27 जनवरी को एक कार्यक्रम में उन्होंने कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए […]

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Former Supreme Court Judge Targets Law Minister
  • January 28, 2023 3:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम पर केंद्र सरकार के बढ़ते हमलों के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंटन फली नरीमन ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू पर निशाना साधा है। बता दें ,शुक्रवार यानी 27 जनवरी को एक कार्यक्रम में उन्होंने कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए नामों को रोकना लोकतंत्र के लिए घातक बताया था। इसके साथ ही कानून मंत्री को याद दिलाया कि अदालत के फैसले को स्वीकार करना उनका कर्तव्य है , न की उनकी आलोचना करना।

कानून मंत्री पर साधा निशाना

मिली जानकारी के मुताबिक , मुंबई यूनिवर्सिटी के कानून विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लेक्चर देते हुए पूर्व जज ने बताया था कि हमने इस प्रक्रिया के खिलाफ आज के कानून मंत्री की ओर से एक निंदा सुने को मिली है और मैं कानून मंत्री को आश्वस्त करता हूं कि दो मूलभूत सिद्धांत हैं। जिन्हें उन्हें जानना बेहद जरुरी है , एक मौलिक बात यह है कि अमेरिका केअलावा , कम से कम 5 अनिर्वाचित जजों पर संविधान के अनुच्छेद 145(3) की व्याख्या पर भरोसा करता है। उन्होंने आगे कहा कि एक बार उन पांच या ज्यादा ने संविधान की व्याख्या कर ली, तो यह अनुच्छेद 144 के तहत एक प्राधिकरण के रूप में आपका ही कर्तव्य है।

उन्होंने अंत में कहा कि मैं नागरिक के रूप में, मैं इसकी आलोचना करूँगा , लेकिन कोई बात नहीं। हालांकि ,यह कभी मत भूलें कि आप एक अथॉरिटी हैं और एक प्राधिकरण के रूप में आप सही या गलत के फैसले से बंधे हुए हैं। जानकारी के लिए बता दें , पूर्व जज खुद अगस्त 2021 में रिटायर्ड होने से पहले कॉलेजियम का हिस्सा रहे थे।

सरकार के जवाब देने की सीमा हो तय

उन्होंने आगे सुझाव दिया है कि कॉलेजियम की ओर से किसी जज के नाम की सिफारिश के बाद सरकार को 30 दिनों के अंदर जवाब पड़ता है। अगर तय समय सीमा के अंदर सरकार कोई जवाब नहीं देती है ,तो यह मान लिया जाएगा कि सरकार के पास उस मुद्दे पर कहने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा – संविधान इसी तरह से ही काम करता है और कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए नामों को रोकना डेडली फॉर डेमोक्रेसी यानी लोकतंत्र के खिलाफ घातक होता है। इसके साथ ही उन्होंने अंत में कहा कि स्वतंत्र और निडर जजों के बिना हम नए अंधेरे युग की खाई में प्रवेश कर रहे है। यदि आपके पास स्वतंत्र और निडर जज नहीं हैं, तो आपके पास कुछ नहीं बचा है।

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