डॉ. मनमोहन सिंह का अर्थशात्री से प्रधानमंत्री तक का सफर आसान नहीं था, उन्होंने बहुत ही कठिन परिस्थितियों में वित्त मंत्री का पद संभाला और प्रधानमंत्री का पद संभाला था.
नई दिल्ली : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज 92 वर्ष की उम्र में एम्स में निधन हो गया। उनके निधन की सूचना पाकर सोनिया गांधी एम्स पहुंच गई हैं। सांसद राहुल गांधी भी CWC की मीटिंग से वापस दिल्ली पहुंच रहे है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई । डॉ. मनमोहन सिंह का अर्थशात्री से प्रधानमंत्री तक का सफर कोई आसान नहीं था, उन्होंने काफी कठिनाइयों का सामना कर PM की कुर्सी संभाली थी। हालांकि उन्हें एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर भी कहा जाता है.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम थे जिन्होंने अर्थशास्त्री के रूप में देश से लेकर दूसरे देशों तक अपनी पहचान बनाई। उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया था। बचपन से ही पढ़ाई में होनहार रहे मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक “इंडियाज एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रॉस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेन्ड ग्रोथ” को भारत की व्यापार नीति का गहन विश्लेषण माना जाता है।
डॉ. मनमोहन सिंह 2004 में भारत के प्रधानमंत्री बने थे और 2014 तक लगातार इस पद पर बने रहे। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद अपने समय में वह लगातार दो बार पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे। उनके नेतृत्व में वैश्विक मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने दमदार प्रदर्शन किया था। हालांकि, उनके कार्यकाल के दौरान 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला आवंटन जैसे बड़े घोटाले भी हुए, जिसके कारण उनकी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
साल 1991-96 के दौरान पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे, तब वे देश के वित्त मंत्री थे। जब वे वित्त मंत्री थे, तब उनकी नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्हें देश के आर्थिक सुधारों का आर्किटेक्ट कहा जाता है। राजनीति में आने से पहले मनमोहन सिंह 1985 से 1987 तक योजना आयोग के प्रमुख थे। उससे पहले वे 1982 से 1985 तक आरबीआई के गवर्नर भी रहे। आज भी बैंकिंग सेक्टर में सुधारों का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है।
मनमोहन सिंह 3 अप्रैल 2024 में राज्यसभा से रिटायर हुए थे। वे 1991 में असम से पहली बार राज्यसभा पहुंचे थे। तब से वे करीब 33 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे। वे 2019 में छठी और आखिरी बार राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने थे। मनमोहन सिंह के रिटायरमेंट पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें एक पत्र भी लिखा था। अपने पत्र में खड़गे ने लिखा था कि अब आप सक्रिय राजनीति में नहीं रहेंगे, लेकिन जनता के लिए आपकी आवाज उठती रहेगी। संसद को आपके ज्ञान और अनुभव की कमी खलेगी। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी मनमोहन सिंह की राजस्थान वाली सीट पहली बार राज्यसभा पहुंचीं। 20 फरवरी को वे राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुनी गईं।
प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने से पहले मनमोहन सिंह यूजीसी के चेयरमैन, रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वर्ष 2002 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार भी मिला था। उनकी कुशल नीतियों और राजनीतिक योगदान ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट स्थान दिलाया था। हालांकि, विवादों के बावजूद उन्हें उनकी विनम्रता और विद्वता के लिए सम्मान के साथ हमेश याद किया जाएगा।