नई दिल्ली.11 जून को जब अटल बिहारी बाजपेयी के एम्स में भर्ती होने की खबर आई तो एकबारगी लगा कि क्या वो चले जाएंगे? या फिर एक बार मौत को मात दे देंगे। बड़ी ही दिलचस्प बात थी कि 11 जून का दिन पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की जयंती थी, दोनों का ही एक दिलचस्प कनेक्शन था। बिस्मिल और अटल दोनों ही आर्य समाज से जुड़े रहे थे। लेकिन अटल जी ने अपनी जिंदगी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को समर्पित कर दी। साथ में वो पत्रकारिता करने लगे।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब हिंदू महासभा से विमुख होकर जनसंघ की स्थापना की, तो 1952 दिसम्बर में इसका पहला अधिवेशन कानपुर में हुआ। निशाने पर शुरू से ही कश्मीर था। नारा दिया गया- एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे। कानपुर अधिवेशन इसी संकल्प के साथ शुरू किया गया कि कश्मीर के पूर्ण एकीकरण को देशव्यापी मुद्दा बनाया जाए। उससे पहले अटलजी को साथ लेकर पूरे देश में श्यामा प्रसाद मुखर्जी दौरा भी कर चुके थे, ऐसे ही एक दौरे के दौरान दोनों से एल के आडवाणी कोटा स्टेशन पर मिले थे। उन दिनों आडवाणी कोटा में ही थे।
जम्मू कश्मीर सरकार ने एक नियम बना दिया था कि जो को भी जम्मू कश्मीर में भारत से आएगा, उसे वहां आने के लिए राज्य सरकार से परमिट लेना पड़ेगा। श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ये बात काफी नागवार गुजरी और उन्होंने बिना परमिट कश्मीर में जाने की योजना बनाई। डा. मुखर्जी कई साथियों के साथ, कश्मीर के लिए 8 मई 1953 को एक पैसेंजर ट्रेन से निकले, रेल से उन्होंने पहले पंजाब पार किया। पूरा पंजाब मुखर्जी को देखने के लिए उमड़ा जा रहा था। उनका अंतिम पड़ाव राव नदी के किनारे माधोपुर चैकपोस्ट थी। रावी नदी जम्मू कश्मीर और पंजाब के बीच सीमा रेखा के तौर पर थी।
रावी नदी पर जो पुल था, उसका बीच का स्थान दोनों राज्यों के बीच की सीमा मानी जाती थी। जब जीप मुखर्जी और उनके साथियों को लेकर पुल के बीचोंबीच पहुंची तो वहां जम्मू कश्मीर के पुलिस अधिकारी एक बड़े दस्ते के साथ खड़े हुए थे। उन्होंने मुखर्जी को मुख्य सचिव का एक लैटर दिखाया, जिसके मुताबिक मुखर्जी के लिए राज्य में प्रवेश की मनाही की बात लिखी थी। डा. मुखर्जी ने उस आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया और ऐलान किया कि वो कश्मीर जाने के लिए दृढ प्रतिज्ञ है, अपने देश के अंदर किसी भी स्थान पर जाने के लिए मुझे किसी भी इजाजत की जरुरत नहीं।
तत्काल पुलिस अधीक्षक ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत उनकी गिरफ्तारी का ऑर्डर निकाला। मुखर्जी को हिरासत मे ले लिया गया, उनके दो सहयोगी वैद्य गुरुदत्त और टेकचंद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। चूंकि अटल बिहारी बाजपेयी इस यात्रा पर बतौर पत्रकार साथ थे, इसलिए वो गिरफ्तारी से बच गए। लेकिन उनसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उनसे कहा, ‘’तुम वापस जाओ और देशवासियों को बताओ कि डा. मुखर्जी ने प्रतिबंध आदेशों की अवहेलना करते हुए जम्मू एंव कश्मीर में प्रवेश किया है और वह भी बगैर परमिट के, भले ही एक बंदी के रुप में क्यों ना हो।
डा. मुखर्जी को श्रीनगर से दूर निशात बाग के निकट एक छोटे से घर को अस्थाई जेल बनाकर नजरबंद कर दिया गया। 23 जून को देश को फिर उनकी मौत की ही जानकारी मिली कि कैसे उनको अचानक 10 मील दूर एक हॉस्पिटल मे भी ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई। आज तक देश सच्चाई का सही पता नहीं लगा पाया है।
जबकि अटल मुखर्जी की बात मानकर उस वक्त वापस लौट गए थे, लेकिन उनको उन्होंने पंजाब में मुखर्जी का शानदार स्वागत देखा था। ऐसे में जब मुखर्जी की मौत की खबर आई तो उनको लगा कि उनको भी पूरे मन से चुनावी राजनीति में उतरना चाहिए। अटल बिहारी बाजपेयी ने एक इंटरव्यू में बताया कि तभी मैंने तय कर लिया कि डा. मुखर्जी के सपनों को, अधूरे कामों को पूरा करना है।
अगले आम चुनाव 1957 में हुए, अब तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी नहीं थे, और दीनदयाल उपाध्याय हर हाल में प्रखर वक्ता अटल बिहारी को संसद में भेजना चाहते थे। सो तय किया गया कि उन्हें तीन सीटों पर चुनाव लड़ाया जाएगा। ये तीन सीटें चुनी गईं मथुरा, लखनऊ और बलरामपुर। आलम ये था कि उन दिनों कोई भी जनसंघ का टिकट नहीं लेना चाहता था, नई पार्टी थी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसा बड़ा चेहरा भी नहीं रहा था। दीनदयालजी परदे के पीछे रहकर काम करना पसंद करते थे। तो अटलजी ने तीन जगहों पर मोर्चा जमाया.
अटल बिहारी वाजपेयी का 93 साल की उम्र में निधन, दिल्ली के एम्स में लीं आखिरी सांसे
जब अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने खेला महिला और बॉलीवुड कार्ड
AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने PWD घोटाले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ये…
प्रणब मुखर्जी के मेमोरियल बनने के ऐलान के बाद शर्मिष्ठा मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी…
Womens Premier League 2025: वीमेंस प्रीमियर लीग 2025 के मुकाबले लखनऊ और बड़ौदा में खेले…
Indian Cricket Team: इंग्लैंड का भारत दौरा 22 जनवरी से 12 फरवरी तक चलेगा. इसके…
Cashless Treatment Scheme: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को नई…
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी दिल्ली चुनाव के दंगल में उतर…