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Atal Bihari Vajpayee Death: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की अफवाह, समाचार चैनलों ने माफी मांगी

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एम्स दिल्ली में निधन की अफवाह फैलाने के लिए समाचार चैनलों ने माफी मांगी है. डीडी न्यूज के हवाले से कुछ चैनलों ने शाम 3 बजे के आस-पास ये खबर चला दी थी कि वाजपेयी नहीं रहे जो दरअसल गलत खबर थी. कुछ ही देर में सारे चैनलों ने ये खबर हटाई और गलत खबर देने के लिए माफी मांगी. वाजपेयी जी ने गुरुवार की शाम 5:05 बजे आखिरी सांस ली. उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. अंत्येष्टि से पहले वाजपेयी के पार्थिव शरीर को उनके आवास और बीजेपी मुख्यायल में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा.

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atal bihari vajpayee death
  • August 16, 2018 2:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया है. वाजपेयी ने गुरुवार शाम 5:05 बजे आखिरी सांस ली जहां वो 11 जून से भर्ती थे. उनके निधन से कुछ घंटे पहले समाचार चैनलों वाजपेयी के  निधन की खबर चला दी थी जिसके लिए सारे चैनलों ने माफी मांगी लेकिन शाम होते-होते उनके निधन की खबर आ गई. वाजपेयी के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके सरकारी आवास कृष्णा मेनन मार्ग पर रखा गया है. वाजपेयी का अंतिम संस्कार शुक्रवार की शाम राजघाट के पास यमुना किनारे किया जाएगा जिससे पहले बीजेपी मुख्यालय में उनका अंतिम दर्शन होगा.

समाचार चैनलों ने सरकारी समाचार चैनल डीडी न्यूज के हवाले से ये खबर दी कि दिल्ली के एम्स में भर्ती और लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर चल रहे वाजपेयी नहीं रहे लेकिन कुछ ही मिनट में सारे चैनलों ने ये खबर हटा ली और इस गलत रिपोर्टिंग के लिए माफी मांग ली. उस समय ये कहा गया कि एम्स के डायरेक्टर वाजपेयी की सेहत पर कुछ देर में मेडिकल बुलेटिन जारी करने वाले हैं जिससे उनकी तबीयत की ताजा स्थिति की जानकारी मिलेगी. जब वो मेडिकल बुलेटिन आया तो उसमें अटल बिहारी वाजपेयी के गुजर जाने की खबर थी.

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93 साल के अटल बिहारी वाजपेयी डिमेंशिया नाम की बीमारी से पीड़ित हैं. अटल जी को देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया,  समेत कई नेता एम्स पहुंचे. मोदी और शाह एम्स में करीब पौने घंटा रहे और डॉक्टरों से वाजपेयी की बिगड़ी सेहत की जानकारी ली.

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर साल 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था. अटल जी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी शिक्षक होने के साथ एक कवि भी थे. इनकी शुरुआती पढ़ाई ग्वालियर में हुई थी. जिसके बाद इन्होंने कानपुर के एंग्लो-वैदिक कॉलेज से वाजपेयी ने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की.

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अटल जी साल 1939 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े थे. साल 1947 में वे संघ के प्रचारक बन गए. इसके बाद वे जनसंघ से जुड़े. वाजपेयी ने जनसंघ के नेता के तौर पर 1957 में बलरामपुर से लोक सभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1968 में जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. 1975 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लगाने के विरोध में अटल जी जय प्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन का हिस्सा बने थे.

1977 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी सरकार में वाजपेयी केंद्रीय मंत्री बने और विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली. 1979 में मोराजी देसाई के इस्तीफे के बाद अटल जी का मंत्री पद भी चला गया. 1980 में अटल जी ने लाल कृष्ण आडवाणी, भैरो सिंह शेखावत और जनसंघ के कुछ नेताओं के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी का गठन किया.

वाजपेयी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का कभी भी समर्थन नहीं किया था. 1996 के आम चुनावों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के 10वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. उस दौरान लोकसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि, वाजपेयी की पहली सरकार सिर्फ 13 दिन ही चल सकी थी. इस तरह अटल जी भारत के सबसे कम अवधि के प्रधानमंत्री बने थे.

वाजपेयी ने 1998 में फिर से देश के प्रधानमंत्री की शपथ ली. इनके दूसरे कार्यकाल के दौरान ही पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया गया था. इस बार भी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सिर्फ 13 महीने ही चल सकी. एआईएडीएमके ने एनडीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. फिर मध्यावधि चुनाव में एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटा जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी 1999 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे. 2004 के चुनावों में एनडीए हार गया और वाजपेयी सत्ता से बाहर हो गए.

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