नई दिल्ली. पीएनबी फ्रॉड केस में इलाहाबाद बैंक के पूर्व डायरेक्टर दिनेश दूबे ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है. दिनेश दुबे ने कहा कि यूपीए 2 सरकार के वक्त ये घोटाला हुआ और मोदी सरकार के वक्त ये 50 गुना बढ़ गया. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए दूबे ने कहा कि मैंने 2013 में ही यूपीए सरकार और आरबीआई को गीतांजलि जेम्स पर डिसेन्ट नोट दिया था. लेकिन मुझे आदेश दिया गया था कि इस लोन को अप्रूव करना है. उस समय मुझ पर दबाव था इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया.
गीतांजलि जेम्स को गलत तरीके से दिए जा रहे लोन पर आवाज उठाने वाले दूबे ने बताया कि पीएनबी घोटाले की नींव 2013 में इलाहाबाद बैंक की निदेशक मंडल की बैठक में ही रख दी गई थी. मैं भी सरकार की तरफ से उस बैठक में शामिल हुआ था. जिसमें गीतांजलि ज्वेलर्स के मालिक मेहुल चोसकी भी मौजूद थे. जिसमें उन्हें 550 करोड़ देने की मंजूरी दी गई थी. उधर रेवेन्यू सेक्रेटरी राजीव टकरू ने कहा कि इस शख्स (दिनेश दुबे) से मैं केवल एक बार मिला, वो किसी बात पर नाराज होकर इस्तीफा देना चाहते थे.
दिनेश दूबे ने आगे कहा कि यूपीए सरकार के समय चला आ रहा ये मामला आज एनडीए सरकार में 10 गुना, 50 गुना बढ़ गया है. दिनेश दूबे ने बताया कि इस मामले में उन्होंने शिकायत भी की थी लेकिन उन्हें तत्कालीन वित्त सचिव राजीव ताकरु ने ऊपरी दबाव की बात कहकर निदेशक के पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था. बता दें कि पीएनबी में फर्जी LoUs के जरिए 11356 करोड़ रुपए का फ्रॉड सामने आया है. इसमें नीरव मोदी, मेहुल चौकसे आरोपी हैं.
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