नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश जस्टिस जे एस खेहर ने अयोध्या विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है. पूर्व चीफ जस्टिस ने को कहा कि भारत ने आजादी के बाद धर्मनिर्पेक्षता का मार्ग चुना है. लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि हम उसे भूल गए हैं. हम ‘जैसे को तैसा’ रुख में आ गए हैं. जस्टिस खेहर ने कहा कि देश की आजादी के बाद सबसे बड़ी हिंसा हुई. उस वक्त ऐसी क्रूरता सामने आयी जिसे पीढ़ियां नहीं भूल सकतीं. लेकिन भारत में कुछ अनोखा हुआ. पाकिस्तान इस्लामिक राज्य बना जबकि भारत ने धर्मनिर्पेक्ष रहना पसंद किया. जस्टिस खेहर ने कहा कि भारत के नेताओं ने सुनिश्चित किया कि देश में पूर्ण धर्मनिर्पेक्षता हो.
जस्टिस खेहर ने कहा कि भारत सेक्युलर देश है और हम वैश्विक ताकत बनना चाहता है. लेकिन आप कभी भी सांप्रदायिक छवि के साथ वैश्विक शक्ति नहीं बन सकते हैं. आज कल भारत में जो भी माहौल बना हुआ है उससे भारत अपनी छवि सांप्रदायिक देश के तौर पर गढ़ रहा है, जो कि राष्ट्रहित में नहीं है. जस्टिस खेहर ने याद दिलाया कि बतौर चीफ जस्टिस रहते उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों को अयोध्या विवाद का सौंहार्दपूर्ण हल ढूंढ़ने में मदद की पेशकश थी. लेकिन पूर्व चीफ जस्टिस की अपील के बावजूद भी मुद्दा अटका हुआ है और रोज इस मामले पर नए-नए विवाद खड़े हो रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि आप हर मुद्दों का समाधान जंग से नहीं निकाल सकते हैं. इसके लिए आपको शांति और बातचीत का रास्ता अपनाना होगा. यूरोप और दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में इसकी संभावना अधिक है. यही वजह थी कि जब मैं देश का मुख्य न्यायधीश था तो मैंने अयोध्या विवाद पर बातचीत का सुझाव दिया था और इसके लिए वो मध्यस्थता के लिए तैयार थे. जस्टिस खेहर ने ये बातें लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल कार्यक्रम में व्याख्यान के दौरान कहीं.
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