Alok Verma Resigned: सीबीआई चीफ के पद से हटाये गए आलोक वर्मा ने नौकरी छोड़ दी है. आलोक वर्मा को होम गार्ड और फायर बिग्रेड के डीजी पद की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन उन्होंने नई जिम्मेदारी संभालने से इंकार कर दिया.
नई दिल्ली. सीबीआई प्रमुख पद से हटाए जाने से नाराज आलोक वर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सिलेक्ट कमेटी की मीटिंग में तय किया गया था कि आलोक वर्मा को उनके पद से बर्खास्त कर दिया जाए क्योंकि उन्होंने संस्थान की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है. आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाकर फायर सर्विस और होम गार्ड का डीजी बनाया गया था जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि वो अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं.
गौरतलब है कि आलोक वर्मा इसी महीने की 31 जनवरी को रिटायर हो रहे थे. लेकिन सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद के चलते सरकार ने आधी रात उनसे उनके सारे अधिकार छीनते हुए उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया था. जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें बहाल करने का फैसला दिया था, हालांकि कोर्ट ने कहा था कि सिलेक्ट कमेटी की मीटिंग होने तक वो कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे.
Former CBI Chief Alok Verma in a letter to Secy Dept of Personnel and Training:It may be noted that the undersigned would have already superannuated as on July 31, 2017 and was only serving the Government as Director, CBI till January 3, 2019, as the same was a fixed tenure role. pic.twitter.com/iMRxwWOgUl
— ANI (@ANI) January 11, 2019
Former CBI Chief Alok Verma refuses to take charge as DG, Fire Services. A statement says "natural justice was scuttled and the entire process was turned upside down in ensuring that the undersigned is removed from the post of the Director." pic.twitter.com/cgStJpOR0V
— ANI (@ANI) January 11, 2019
इस बीच गुरुवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में सिलेक्ट कमेटी की मीटिंग हुई जिसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के प्रतिनिधि के तौर पर जस्टिस सीकरी और विपक्ष की तरफ से लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिाकर्जुन खड़गे मौजूद थे. मीटिंग में 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने का फैसला लिया गया. हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा का समर्थन करते हुए कहा था कि उन्हें अपनी सफाई देने का मौका मिलना चाहिए लेकिन बहुमत का फैसला उनके खिलाफ था हिहाजा उन्हें उनके पद से हटाने का फैसला ले लिया गया.